उमर अब्दुल्ला ने कब्रिस्तान की दीवार फांदी, फातिहा पढ़ा

उमर अब्दुल्ला ने कब्रिस्तान की दीवार फांदी, फातिहा पढ़ा

महाराजा हरिसिंह के खिलाफ लड़ने वालों का शहीदी दिवस मनाया, एलजी ने रोक लगाई थी
श्रीनगर।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को श्रीनगर के नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान में कब्रों पर फातिहा पढ़ने और फूल चढ़ाने के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए।
इसमें उमर कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल फांदकर अंदर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रशासन की सख्ती के बाद भी 13 जुलाई शहीद दिवस पर नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान पहुंचे।
यहां 94वें साल पहले जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के शासन के दौरान मारे गए 22 लोगों (मुस्लिम) को श्रद्धांजलि दी।
1900 से 1930 के दौरान जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम समुदायों ने तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के खिलाफ आवाज उठाई थी। 13 जुलाई 1931 को महाराज की सेना से झड़प में 22 लोग मारे गए थे।
इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर में आंदोलन तेज हुए। उमर के दादा शेख अब्दुल्ला ने 1949 में 13 जुलाई को शहीदी दिवस घोषित किया। 2019 तक 13 जुलाई को शासकीय अवकाश रहा करता था।
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इस दिन को आधिकारिक छुट्टियों की सूची से हटा दिया गया। तब से शहीदी दिवस को लेकर विवाद जारी है।
उमर का आरोप- मेरे साथ हाथापाई की गई
उमर ने पर लिखा- 13 जुलाई 1931 के शहीदों की कब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित की और फातिहा पढ़ा। सरकार ने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की और मुझे नौहट्टा चौक से पैदल चलने के लिए मजबूर किया। नक्शबंद साहब दरगाह के गेट को बंद कर दिया, मुझे दीवार फांदने के लिए मजबूर किया। मुझे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मैं आज रुकने वाला नहीं था।
उन्होंने लिखा- मेरे साथ हाथापाई की गई, मुझे रोकने को कोशिश की गई, लेकिन मैं रुका नहीं। मैं कोई गैरकानूनी कान नहीं कर रहा था। यकीनन इन ‘कानून के रक्षकों’ को यह बताने की जरूरत है कि किस कानून के तहत वे हमें फातिहा पढ़ने से रोकने की कोशिश कर रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.