जयपुर: साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए नित नए तरीके काम में ले रहे हैं. कॉल फॉरवर्डिंग एक्टिवेट करा लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाने के मामले सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय की साइबर विंग ने एक चेतावनी जारी की. इसमें साइबर ठगी की नई तरकीब के तौर-तरीके और बचाव को लेकर आमजन को आगाह किया है. इस एडवाइजरी में बताया कि साइबर अपराधी कॉल फॉरवर्डिंग का इस्तेमाल कर लोगों को निशाना बनाते हैं. बैंक खातों से सोशल मीडिया अकाउंट तक पहुंच बनाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे सकते हैं.
सोशल मीडिया से जुटाते हैं निजी जानकारी: एसपी (साइबर क्राइम) शांतनु कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी सोशल मीडिया से आपकी निजी जानकारी जैसे जन्मदिन या शादी की सालगिरह के बारे में जानकारी जुटाकर कॉल या वाट्सएप कॉल करते हैं. वे अक्सर सामान या पार्सल डिलीवरी का बहाना बनाते हैं. ओटीपी पूछने की कोशिश करते हैं. धोखाधड़ी की इस कड़ी में साइबर ठग आपसे एक विशेष नंबर डायल करने के लिए कहते हैं. यह नंबर *21 से शुरू होता है और # के साथ खत्म होता है. इनके बीच में ठग कुछ और नंबर भी डायल कराते हैं.
इस तरह बनाते हैं शिकार: एसपी शांतनु ने कहा कि आप जैसे ही यह नंबर डायल करते हैं. मोबाइल की कॉल फॉरवर्डिंग एक्टिव हो जाती है. इसका मतलब है कि आपके नंबर पर आने वाले सभी कॉल साइबर अपराधी के नंबर पर फॉरवर्ड हो जाएंगे. इस तरह अपराधियों को आपके कॉल और एसएमए व ओटीपी तक पूरी पहुंच मिल जाती है. वे इसका उपयोग आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए करते हैं और फिर आपके परिचितों से किसी भी बहाने से पैसे की मांग करते हैं. ओटीपी तक पहुंच बनाने के बाद वे आपके बैंक खाते से भी ट्रांजेक्शन कर सकते हैं.
ये सावधानी रखें तो बचाव संभव…
ठगी की वारदातों से बचने के लिए अपने जीमेल और वाट्सएप में तुरंत टू-फैक्टर आॅथेंटिकेशन चालू करें, यह आपकी सुरक्षा की अतिरिक्त परत है.
अनजान नंबरों से आने वाली कॉल से बचें. यदि कोई कॉल संदिग्ध लगे तो उसे तुरंत व्हाट्सएप पर रिपोर्ट करें. अपने बैंक को भी इसकी सूचना दें.
किसी भी परिस्थिति में अपना ओटीपी किसी के साथ साझा न करें और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें.
ठगी का शिकार होने पर अपने निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन को सूचित करें.
कॉल फॉरवर्ड के जरिए ठगी का शिकार बना रहे साइबर अपराधी, जानिए क्या है इनकी नई तरकीब

Leave a Reply