-पीड़ित छात्रा को इंसाफ दिलाने के लिए बनी माँ, दोस्त और प्रहरी
सीमा सन्देश# श्रीगंगानगर। गुरु केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन के अंधेरों में रौशनी दिखाने वाला दीप होता है। कुछ ऐसा ही किया है गंगानगर की बेटी और सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य सीमा झाम्ब ने। उन्होंने एक यौन उत्पीड़न की शिकार छात्रा की ना सिर्फ बात सुनी, बल्कि उसे न्याय दिलाकर मिसाल कायम की। वर्ष 2021 में स्कूल की एक छात्रा ने अपनी आपबीती साझा की- पिता नहीं, और घर आने वाला एक व्यक्ति उसे बार-बार डरा कर शोषण करता। सीमा झाम्ब ने चुप रहने के बजाय बच्ची का हाथ थामा, उसे थाने ले गईं, रिपोर्ट दर्ज करवाई, और जब तक वह सुरक्षित नहीं हुई, उसे अपने घर में रखा। जहां अधिकतर लोग डर या सामाजिक दबाव में चुप हो जाते हैं, वहां सीमा डटकर खड़ी रहीं। हर धमकी और चुनौती के बावजूद पीछे नहीं हटीं। 3 साल चली कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत ने आरोपी को हाल ही में 20 वर्ष की सजा सुनाई है। इस लड़ाई में सीमा के पति जे.के. झाम्ब (पूर्व एसबीआई अधिकारी) ने हर कदम पर उनका साथ निभाया। शंकर सोनी, अमित गोदारा, निहित सुधाकर और देवीलाल जैसे सामाजिक साथियों की मदद भी उल्लेखनीय रही। आज गंगानगर गौरवान्वित है। यह घटना दिखाती है कि अगर एक शिक्षिका अपने कर्तव्य के प्रति सजग हो, तो एक बच्ची की जिंदगी ही नहीं, पूरा समाज बदल सकता है।
ऐसी महिलाएं समाज की बेटियों के लिए ढाल हैं : बिश्नोई
इंजीनियर ओम बिश्नोई के शब्दों में, ‘सीमा झाम्ब जैसी महिलाएं समाज की बेटियों के लिए ढाल हैं। वह सिर्फ एक शिक्षक नहीं, एक युगनायिका हैं।’ सीमा झाम्ब कहती हैं, ‘यह कोई बहादुरी नहीं थी, बस वो संस्कार थे जो मैंने अपने माता-पिता और गुरुओं से सीखे।’
सीमा झाम्ब ने दिखाई ‘ बेटी बचाओ’ की असली ताकत

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