सोलर से रेलवे बचा रहा प्रतिवर्ष 12 करोड़ रुपए का राजस्व और वाटर रि-साइकिल प्लांट से पानी

सोलर से रेलवे बचा रहा प्रतिवर्ष 12 करोड़ रुपए का राजस्व और वाटर रि-साइकिल प्लांट से पानी

सीमा सन्देश# श्रीगंगानगर: पर्यावरण संरक्षण का उत्तरदायित्व अब केवल एक व्यक्ति विशेष का नहीं रहा, बल्कि यह समग्र समाज की जिम्मेदारी बन चुका है ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और स्वस्थ जीवन मिल सके। उत्तर पश्चिम रेलवे, इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है, और उसने ऊर्जा संरक्षण तथा पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं, विशेष रूप से सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा दिया है। इस रेलवे क्षेत्र में कुल 15.7 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं, जिनसे प्रतिवर्ष लगभग 12 करोड़ रुपये का राजस्व बचत हो रहा है। इन सोलर पैनल्स के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ रेलवे द्वारा अपने ऊर्जा खर्च को भी कम किया जा रहा है। जयपुर, अजमेर और जोधपुर जैसे प्रमुख स्टेशनों पर उच्च क्षमता के सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति कर रहे हैं।
विंड मिल और ग्रीन बिल्डिंग पहल
रेलवे अधिकारियों के अनुसार जैसलमेर में 26 मेगावाट क्षमता का विंड-मिल भी कार्यरत है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 73 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पन्न हो रही है। इसके अतिरिक्त, रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास में पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा का उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। इन पुनर्विकास परियोजनाओं में ग्रीन बिल्डिंग आधारित व्यवस्थाओं को प्रमुखता दी जा रही है, जिसमें नवीनीकरणीय ऊर्जा और वर्षा जल संचयन जैसी पहलें शामिल हैं।
ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग
रेलवे के स्टेशनों और कार्यालयों में एलईडी आधारित उपकरणों का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, उत्तर पश्चिम रेलवे पर 100 प्रतिशत एलईडी लाइटिंग का उपयोग हो रहा है, जिससे प्रकाश की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बिजली की बचत भी हो रही है। लगभग 2 लाख एलईडी फिटिंग्स स्थापित की गई हैं, जो प्रतिवर्ष लगभग 103 लाख यूनिट ऊर्जा की बचत कर रही हैं।
जल संरक्षण की पहल
वॉटर रीसायकलिंग प्लांट के माध्यम से पानी की बचत की जा रही है। जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हिसार, अजमेर और बाड़मेर जैसे प्रमुख स्टेशनों पर वाटर रीसायकल प्लांट लगाए गए हैं। इन संयंत्रों के माध्यम से पानी का पुन: उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है। इसके साथ ही, 163 स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट भी स्थापित किए गए हैं और आगे भी नए स्थानों पर इस पहल को बढ़ावा दिया जाएगा।
स्वच्छता और जल प्रबंधन
रेलवे द्वारा 38 स्टेशनों और कोचिंग डिपो में मैकेनाइज्ड क्लीनिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे रेलवे स्टेशन और कोचिंग डिपो की स्वच्छता सुनिश्चित हो रही है। इसके अलावा, जयपुर और जोधपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो प्रतिदिन 400 और 300 किलो लीटर पानी का उपचार करते हैं। बीकानेर, सूरतगढ़, अजमेर और अन्य स्थानों पर भी छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं।

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