रियाद
कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के बीच 17 जुलाई से हज यात्रा का आगाज हो गया। इस साल सिर्फ सऊदी अरब के ऐसे 60 हजार लोगों को इसमें शामिल होने का मौका मिला है जो वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं। महामारी को देखते हुए दूसरे देशों से लोगों को आने की अनुमति नहीं मिली। कोरोना से पहले हर साल यहां 25 लाख तक यात्री आते थे। हज 22 जुलाई तक चलेगा।
सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद अल-हरम में मुस्लिमों का सबसे पवित्र स्थल काबा है। यहां आकर इबादत करना मुस्लिम समुदाय के लिए फर्द यानी मजहबी फर्ज है। जो लोग आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम हैं, उन्हें जिंदगी में एक बार हज यात्रा पर आना ही होता है। 20 तस्वीरों में देखिए कोरोना काल में हज…
मक्का की पवित्र मस्जिद में काबा के चारों ओर तवाफ अदा करते जायरीन।
तवाफ की रीत में सात बार काबा की परिक्रमा लगाई जाती है।
मस्जिद अल-हरम में व्हीलचेयर पर बैठी महिला को लेकर जाता एक हजयात्री।
अल-हजरु अल-अस्वद यानी काबा के पवित्र पत्थर के पास खड़े सिक्योरिटी गार्ड।
जायरीनों का पहला बैच मस्जिद में उमरा अदा करते हुए।
काबा के सामने मास्क पहन कर खड़े हज मंत्रालय के एक अधिकारी।
मीना इलाके में अपने टेंट के सामने नमाज पढ़ते तीर्थयात्री।
20 किमी के दायरे में फैले मीना इलाके में हज यात्री रुकते हैं।
मीना इलाके में आने वाले यात्रियों के आईडी और परमिट देखते अधिकारी।

मक्का से 20 किमी दूर अराफत पर्वत पर दुआ पढ़ती महिला। इसे रहमत का पहाड़ भी कहते हैं।
काबा को ढंकने के लिए नया कपड़ा ले जाते अधिकारी।
पवित्र काबा को नए कपड़े से ढंकते हज अधिकारी।
मक्का के पवित्र शहर से बाहर अराफत के मैदान में दुआ पढ़ते हज यात्री।

अराफत की नमीरा मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दुआ पढ़ते लोग।
अराफत के मैदान में दुआ पढ़ते हज यात्री। कोरोना के चलते इस साल भी कम लोग हज में शामिल हुए।
अराफत के पर्वत के पास खड़ा सऊदी सिक्योरिटी फोर्स का एक गार्ड।
अराफत के मैदान में नमीरा मस्जिद में नमाज पढ़ते जायरीन।
नमीरा मस्जिद के सामने से गुजरते हज यात्री। यहां हजारों लोग एक साथ नमाज पढ़ते हैं।

नमीरा मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद बाहर निकलते हजारों लोग।