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1857 के क्रांतिकारियों पर रखा गया सेमिनार जातिवाद और क्षेत्रवाद की भेंट चढ़ा

उदयपुर।

उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को इतिहास विभाग की ओर से अयोजित नेशनल सेमिनार जातिवाद और क्षेत्रवाद की भेंट चढ़ गया। छात्रों का आरोप था कि इस सेमिनार में जाति विशेष के क्रांतिकारियों को ही तवज्जो दी गई और एक प्रदेश के क्रांतिकारियों को ही शामिल किया गया है। इसको लेकर छात्र धरने व अनशन पर बैठे थे। सेमिनार के शुरू होते ही छात्रों ने विरोध जताया और कुलपति ने सेमिनार को स्थगित कर दिया। इस दौरान यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।

दरअसल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग की ओर से 9-10 सितम्बर को “1857 की क्रांति के अज्ञात और भूले-बिसरे नायक”  विषय पर सेमिनार रखा गया था।  कई छात्रों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। छात्रों ने आरोप लगाया कि सेमिनार के निमंत्रण पत्र पर जाति विशेष के लोग ही हैं। ज्यादातर नाम उत्तर प्रदेश के हैं। देश की आजादी में राजस्थान के लोगों का भी योगदान रहा है, फिर यहां किसी को शामिल क्यों नहीं किया गया?

कमेटी ने दे दी थी क्लिनचिट
छात्रों ने आरोप लगाया कि सेमीनार के आयोजनकर्ता जातिवाद और क्षेत्रवाद फैला रहे हैं। इसे लेकर छात्रों ने आमरण अनशन और भूख हड़ताल भी की। इस पर कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ने शहर के इतिहासकारों की एक कमेटी बनाकर मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी। कमेटी ने भी सेमिनार को क्लीन चिट दे दी थी, मगर शुक्रवार को सेमीनार के पहले दिन भी भारी हंगामा होने के चलते सेमीनार स्थगित करना पड़ा।