रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनडीटीवी डिफेंस समिट में कहा, ‘आत्मनिर्भरता विकल्प नहीं, अस्तित्व की शर्त है’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनडीटीवी डिफेंस समिट में कहा, ‘आत्मनिर्भरता विकल्प नहीं, अस्तित्व की शर्त है’

नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट में भारत की भविष्य की चुनौतियों और तैयारियों पर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि आज का दौर बेहद चुनौतीपूर्ण है, जहां एक ओर दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष की स्थिति है तो वहीं दूसरी ओर ट्रेड वॉर जैसे हालात भी पैदा हो रहे हैं. ऐसे में भारत के लिए आत्मनिर्भर होना एक विकल्प नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व और प्रगति की शर्त है.
राजनाथ सिंह ने ‘आॅपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए भारतीय सेनाओं के शौर्य की सराहना की. उन्होंने कहा कि हमें अपने इतिहास से सीख लेने की जरूरत है ताकि हम वर्तमान की चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझ सकें. उन्होंने कहा कि समय के साथ चुनौतियां बदलती हैं और पुरानी चुनौतियां नई चुनौतियों के सामने छोटी लगने लगती हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास हमें सिखाता है कि लंबी और गहन तैयारी के बाद ही किसी भी चुनौती पर विजय पाई जा सकती है, जैसा कि ‘आॅपरेशन सिंदूर’ में हुआ था.
‘कोविड और टेक्नोलॉजी ने बदला सब कुछ’
रक्षा मंत्री ने 21वीं सदी को ‘सबसे ज्यादा विघटनकारी’ बताया. उन्होंने कहा कि हमने इस सदी में कोविड-19 महामारी को देखा, जिसने पूरी दुनिया को लॉकडाउन कर दिया. इस दौरान कई देशों के बीच तनाव देखने को मिला. वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट और स्पेस साइंस जैसी नई तकनीकों ने हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है. हर दिन हमारे सामने नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस दौर में अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को मजबूत रखने के लिए आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है. यही वह दृष्टिकोण है जो भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में दुनिया में अग्रणी स्थान दिलाएगा.
रक्षा उत्पादन में भारत की बढ़ती ताकत
राजनाथ सिंह ने आंकड़ों के साथ बताया कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि हमने पहले जिन 3,000 डिफेंस इक्विपमेंट्स को इंपोर्ट किया था, अब उनका प्रोडक्शन भारत में ही हो रहा है. इसके अलावा, 5,500 ऐसे डिफेंस इक्विपमेंट हैं, जिनका आयात हम धीरे-धीरे पूरी तरह बंद कर देंगे और उनका निर्माण भी अपने देश में ही करेंगे. रक्षा निर्यात के मोर्चे पर भी भारत ने शानदार प्रगति की है. जहां 2014 में हमारा रक्षा निर्यात सिर्फ 700 करोड़ रुपये था, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत पर जितना भी दबाव डाला जाएगा, वह चट्टान की तरह उतना ही मजबूत होता जाएगा.
‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कोई पक्का दोस्त या दुश्मन नहीं’
रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी देश किसी का पक्का दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. हर देश अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से ही रिश्ते बनाता है. यही कारण है कि भारत की विदेश और रक्षा नीति भी अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखती है. उन्होंने एनडीटीवी डिफेंस समिट में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत की रक्षा’ ही हमारी नीति का मूलमंत्र है. उन्होंने कहा कि भारत अब किसी के दबाव में नहीं झुकेगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा.

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