मात्र 98 मिमी बरसात ने उजागर की सिस्टम की नाकामी

मात्र 98 मिमी बरसात ने उजागर की सिस्टम की नाकामी
  • मकान ढहने से एक महिला की मौत, एक दर्जन से अधिक मकान क्षतिग्रस्त
    हनुमानगढ़।
    बुधवार सुबह हुई बारिश ने सिस्टम की पोल खोल दी। बुधवार तड़के हुई 98 मिलीमीटर मूसलधार बारिश ने हनुमानगढ़ शहर और उसके आसपास के इलाकों में जबरदस्त नुकसान किया। एक दर्जन से अधिक घरों को तो नुकसान पहुंचा ही साथ तेज बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। वहीं निकटवर्ती 2 केएनजे में एक महिला की मकान गिरने से मौत हो गई। शहर में जगह-जगह सड़कों पर घुटनों तक पानी, कॉलोनियों में जलभराव, प्रशासनिक भवनों तक में पानी का घुसना, ये नजारे बता रहे थे कि शहर की विकास योजनाएं बारिश की पहली परीक्षा में ही फेल हो चुकी हैं। जिला मुख्यालय के अलावा संगरिया में 19, पीलीबंगा में 20, डबली राठान में 32, ढाबां में 82, नोहर में 45 व रावतसर में 15 एमएम बारिश दर्ज की गई।
    कॉलोनियों में घुसा पानी, घर छोड़कर स्कूलों में शरण
    बारिश के कुछ ही घंटों में शहर की प्रमुख कॉलोनियां जैसे हाउसिंग बोर्ड, पुरानी व नई खुंजा, सेक्टर-12, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी, आरसीपी कॉलोनी, बिजली कॉलोनी, सुरेशिया और सिविल लाइंस जलमग्न हो गईं। घरों में पानी भर गया, लोग अपने ही घरों से सामान निकालते दिखे। नजदीकी गांव मक्कासर के कुछ इलाकों में घरों के अन्दर तक पानी पहुंचा तो लोगों को मजबूरी में अपने बच्चों और बुजुर्गों को लेकर स्कल में शरण लेनी पड़ी। मक्कासर गांव की स्थिति सबसे गंभीर रही, जहां दर्जनों कच्चे-पक्के मकान क्षतिग्रस्त हो गए। दो केएनजे आईटीआई कॉलोनी में मलकीत कौर पत्नी बाज सिंह बाजीगर की मकान गिरने से दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और मृतका के परिजनों को सहायता का भरोसा दिलाया। विशेषकर वार्ड नं. 12, भट्टा कॉलोनी, हनुमानगढ़ जंक्शन के दिहाड़ी मजदूर वर्ग को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यहां के कई कच्चे मकानों की छतें गिर गईं हैं, दीवारें टूट गईं और घरों में करीब 4 से 5 फुट तक पानी भर गया है। स्थिति इतनी विकट हो गई कि प्रभावित परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए घरों से सामान निकालकर सड़कों पर आना पड़ा, जहां वे भूखे-प्यासे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
    सड़कों पर झील, अंडरपास हुए जलमग्न
    शहर की मुख्य सड़कें जैसे श्रीगंगानगर रोड, अंबेडकर चैक, मुख्य डाकघर के सामने का क्षेत्र, वाल्मीकि चैक आदि जगहों पर 2 से 3 फुट तक पानी भर गया। अधिकांश अंडरपास पूरी तरह जलमग्न हो गए, जिससे यातायात पूरी तरह बाधित रहा। दोपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी, कई स्थानों पर वाहन बंद हो गए और लोग उन्हें धक्का मारते नजर आए। जलभराव वाली जगहों पर कई स्कूलों में छुट्टी रही वहीं दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
    प्रशासनिक कार्यालय भी नहीं बचे
    स्थिति तब और गंभीर हो गई जब खुद पुलिस अधीक्षक (एसपी) और जिला कलेक्टर कार्यालय के परिसरों में भी पानी भर गया। एसपी का सरकारी आवास भी जलभराव से प्रभावित हुआ। यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि शहर की जल निकासी व्यवस्था कितनी कमजोर है। इसके अलावा कई अन्य सरकारी कार्यालयों में भी जलभराव देखा गया।
    जल निकासी के लिए सड़कों पर उतरा प्रशासन
    स्थिति को बिगड़ते देख जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव, एडीएम उम्मेदीलाल मीणा, नगर परिषद आयुक्त सुरेंद्र यादव और अन्य प्रशासनिक अधिकारी अल सुबह ही सड़कों पर निकल पड़े। उन्होंने विभिन्न जलमग्न इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। कलक्टर ने बताया कि 98 मिमी बारिश ने पूरे शहर की व्यवस्था को चुनौती में डाल दिया है। नगर परिषद की टीमें लगातार कार्य कर रही हैं और जल निकासी का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है। उन्होने नागरिकों से अपील की कि वे धैर्य बनाए रखें और आवश्यक एहतियात बरतें।
    सोशल मीडिया पर वायरल हुई जलभराव की तस्वीरें, फूटा नागरिकों का गुस्सा
    बारिश के कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर जलभराव की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। नागरिकों ने नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों को लेकर नाराजगी जताई। सोशल मीडिया पर अनेकों ऐसी तस्वीरे वायरल हो रही थी जो बता रही थी कि शहर में स्थिति कितनी अधिक गम्भीर है। शहरवासियों ने भी प्रशासन को घेरा और सवाल उठाए कि अगर इतनी मामूली बारिश में ही शहर की हालत यह है, तो आने वाले दिनों में क्या होगा?
    दावों की खुली पोल
    नगरपरिषद के दावों की पोल बारिश ने खोल दी साथ ही यह भी बता दिया कि विकास सिर्फ कागजों में ही हुुआ है। विशेष रूप से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी जैसे योजनागत इलाकों में पानी का भरना इस बात का प्रमाण है कि वहाँ की ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह नाकाम रही। कई कॉलोनियों में तो पानी आज देर शाम तक भी पूरी तरह नहीं निकाला जा सका। वहीं कई अण्डरपास में पानी भरने से भी यातायात पूरी तरह से बाधित रहा। लोगों का कहना है कि अण्डरपास के निर्माण के वक्त जलनिकासी की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।

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