फास्ट फूड, कचौड़ी-समोसा खाते हैं तो हो जाएं सतर्क, हो सकती है ये गंभीर बीमारी, करें ये इलाज

फास्ट फूड, कचौड़ी-समोसा खाते हैं तो हो जाएं सतर्क, हो सकती है ये गंभीर बीमारी, करें ये इलाज

अजमेर। भागदौड़ और व्यस्त जिंदगी में लोग शरीर का ध्यान लोग नहीं रख पाते हैं. इस कारण उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें से अल्सर रोग भी अब आम बन चुका है. अनियमित जीवन शैली और मसालेदार भोजन की आदत ने लोगों में अल्सर रोग को बढ़ा दिया है. आयुर्वेद पद्धति में अल्सर का कारगर इलाज है.
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि जीवन में पैसा कमाना जरूरी है, लेकिन इसके लिए अपने स्वास्थ्य को दाव पर लगाना भी ठीक नहीं है. आज के दौर में कामकाज की व्यस्तता के चक्कर में लोग अपने शरीर को लेकर लापरवाही कर बैठते हैं. मसलन शरीर को ऊर्जा और आवश्यकता प्रदान करने के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है, लेकिन व्यस्तता के चक्कर में लोग पौष्टिक आहार लेने के बजाय डिब्बा बंद या फास्ट फूड का उपयोग करते हैं.
इतना ही नहीं स्वाद के चक्कर में भी लोग चटपटा और मसालेदार भोजन को अपनी आदत बना लेते हैं. इस कारण शरीर में एसिड तेजी से बनाने लगता है और यह अल्सर का कारण बन जाता है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि कई बार 20 वर्ष से अधिक आयु के युवाओं में भी अल्सर रोग देखा गया है. अल्सर रोग अनियमित जीवन शैली और अनियमित खानपान के कारण होता है.
अल्सर के यह हैं लक्षण : उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक पद्धति पर गौर करें तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात, पित और कफ का संतुलन में होना बहुत ही आवश्यक है. यह तभी संतुलन बना रहता है जब शरीर को आवश्यक तत्व मिलते रहें. साथ ही शरीर को रस युक्त फाइबर मिलता रहे. डॉ. शर्मा ने बताया कि शरीर में भोजन पचाने का कार्य पाचक पित्त करता है. यह एक प्रकार का प्राकृतिक एंजाइम (पाचक रस) है. आमाशय में मौजूद भोजन को गलाने और पचाने के लिए पाचक रस ही कारगर होता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है.
जब यही पाचक पित्त विकृत होकर उग्र होता है तब यह रोग का कारण बनता है. इसके उग्र होने से अन्न नलिका और अमाशय की आंतरिक झिल्लियां में घाव बना देता है, जिससे रोगी को असहनीय जलन और पीड़ा होती है. लंबे समय तक यदि यह पाचक पित्त विकृत रहता है, अपच, पेट मे अफरा, खट्टी डकार, उल्टी, चक्कर, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, घबराहट, उच्च रक्तचाप, अनिंद्रा, कब्ज आदि रोग भी साथ होने लगते हैं. इस कारण रोगी की दिनचर्या मानसिक तनाव से घिरकर प्रभावित हो जाती है.
क्या न करें : अनियमित जीवन शैली में सुधार करने की आवश्यकता है. इसके लिए जरूरी है समय पर भोजन करें. भोजन में पौष्टिक तत्व आवश्यक होने चाहिए. मसालेदार भोजन, अचार, मैदा से बने फास्ट फूड, कचौड़ी, समोसा, पकौड़ी, तेज मसालेदार चटनियां और सॉस, उग्र और तीव्र मसालेदार मीट न खाएं. लंबे समय तक भूखा न रहें. रात्रि को भोजन के बाद तुरंत न सोएं. देर रात्रि तक नहीं जागें. चाय और कॉफी का अधिक सेवन न करें.
अल्सर से बचने के लिए यह करें : रात्रि को सोने आधे घंटे पहले दूध पीएं, दांत से काटकर फलों का अधिक से अधिक सेवन करें. दही, छाछ, लस्सी पिएं. पानी खूब पिएं. लंबी सिटिंग है तो हर घंटे थोड़ा टहल लें. देर रात्रि तक सोने की आदत है तो उसे बदलें. समय पर सोएं और सुबह जल्दी उठें. मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करें. साइकलिंग, तैराकी, व्यायाम या अन्य खेलकूद को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं.

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