-दो साल से कार्रवाई ठप, नई जांच पर भी उठ रहे सवाल ***
जालोर। जिले में नर्मदा नहर परियोजना से जुड़े करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान और भ्रष्टाचार का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। वर्ष 2023 में बिना काम हुए ही ठेकेदारों को भुगतान किए जाने की शिकायत सामने आई थी, जिसकी पुष्टि राज्य स्तरीय जांच समिति ने भी की थी। इसके बावजूद डेढ़ साल बाद भी दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब, सरकार ने दबाव में आकर नई जांच कमेटी गठित कर दी है, जिसे दोषियों को बचाने का प्रयास माना जा रहा है।
पूर्व में गठित समिति ने 20 अक्टूबर 2023 को जिन पांच स्थानों की जांच की, वहां माप पुस्तिका में दर्ज कार्यों की जमीनी हकीकत शून्य पाई गई थी। इसके बाद भी कार्रवाई के बजाय मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। हाल ही में 21 मई 2025 को गठित नई जांच समिति में पाली जोन के अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष परिहार और अन्य अधिकारी शामिल किए गए। लेकिन शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस समिति को गलत जगहों पर ले जाया गया और माप पुस्तिका में दर्ज स्थानों की अनदेखी की गई।
डीडावा ए माइनर, पांडरवाली ए माइनर सहित अन्य स्थानों पर कागजों में दिखाया गया कार्य, मौके पर मौजूद नहीं था। डीडावा में 1500 मीटर डॉवेल कार्य और 45000 क्यूबिक मीटर मिट्टी हटाने का दावा किया गया, जबकि मौके पर नाममात्र भी कार्य नहीं हुआ था।
दोषी अधिकारियों, खासकर राज भंवरायत पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। 14 जनवरी 2025 को उनके खिलाफ 17 करोड़ रुपये के घोटाले की शिकायत दर्ज हुई थी, जिसे बाद में प्रभावशाली अधिकारियों की मिलीभगत से दबा दिया गया। शिकायतकतार्ओं ने यह भी आरोप लगाया है कि 11-12 अप्रैल 2025 को राज भंवरायत और दो कर्मचारी शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने उनके घर गए थे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कई बार ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। किसानों का कहना है कि नहर की सफाई और मरम्मत सिर्फ कागजों पर हुई है, जिससे उन्हें रबी की फसल के लिए पानी नहीं मिल रहा।
किसानों और कार्यकतार्ओं ने निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कार्रवाई और मोबाइल लोकेशन की जांच की मांग की है ताकि सच्चाई उजागर हो सके।
नर्मदा नहर परियोजना में करोड़ों का घोटाला

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