नगर परिषद ठेकेदार का कारनामा; खुद पूरा पैसा उठाया, अस्थाई कर्मियों के पीएफ-ईएसआई में किया घोटाला!

नगर परिषद ठेकेदार का कारनामा; खुद पूरा पैसा उठाया, अस्थाई कर्मियों के पीएफ-ईएसआई में किया घोटाला!
  • पिछले कुछ सालों से चल रहा खेल, बिना जांच हर माह करोड़ों रुपयों के बिल पास हुए
    श्रीगंगानगर।
    नगरपरिषद में पिछले कई सालों से ठेके पर कार्यरत मजदूरों के साथ पीएफ और ईएसआई जमा करवाने के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है। इस पूरे खेल में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से नगरपरिषद के वे अधिकारी और कार्मिक शामिल हैं, जो ठेके में निहित शर्तों की अनदेखी कर बिना जांच के ही ठेकेदार के बिल का भुगतान किया जा रहा है। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब एक कर्मचारी ने शिवा सिक्योरिटी एवं प्लेसमेंट एजेन्सी के खिलाफ आयुक्त को लिखित में शिकायत दर्ज करवाई। इसमें कहा गया है कि वह संबंधित फर्म के अधीन पिछले 4 साल से काम कर रहा है। पिछले दिनों जब ईपीएफ और ईएसआई की स्टेटमेंट निकाली तो पता चला कि जनवरी से जुलाई 2024 तक पीएफ और ईएसआई का पैसा जमा ही नहीं करवाया गया। जबकि इस अवधि के दौरान उसने काम भी किया और इसके एवज में भुगतान भी लिया। इसके बाद जब और कर्मचारियों का रिकॉर्ड निकाला तो इनमें भी अंशदान राशि जमा करवाने मे गड़बड़ी सामने आई। शिकायत्तकर्ता अस्थाई वाहन चालक सुनील कुमार ने आयुक्त से गबन की राशि दिलवाने के साथ फर्म के खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग की है। आपको बता दें, करीब 60 कर्मचारी गैराज में काम कर रहे हैं, जबकि अस्थाई सफाई कर्मचारी 350 और ट्रैक्टर ट्रॉली पर हैल्पर 160 लोग काम कर रहे हैं।
    जानिए, इस तरह जमा होती है पीएफ और ईएसआई राशि
    नगरपरिषद द्वारा मैन पावर और संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए निविदा आमंत्रित करती है। नगरपरिषद प्रति व्यक्ति की दर के हिसाब से पीएफ और ईएसआई के एवज में 13 और 3.25 प्रतिशत की राशि जोड़ते हुए फर्म को वर्क आॅर्डर जारी करती है। संबंधित फर्म को इसी वर्क आॅर्डर के हिसाब से कार्मिक को 12 प्रतिशत पीएफ और 4 प्रतिशत ईएसआई का भुगतान किया जाता है। जानकारी अनुसार 4 प्रतिशत ईएसआई में 0.75 प्रतिशत कार्मिक के वेतन से की कटौती के साथ नगरपरिषद द्वारा देय 3.25 प्रतिशत राशि संबंधित कर्मचारी के खाते में जमा करवाने की जिम्मेवारी ठेकेदार की होती है, परन्तु शिवा सिक्योरिटी एवं प्लेसमेंट एजेन्सी द्वारा गड़बड़ियां की गई। कई कर्मचारियों का पीएफ जमा करवाया गया, परन्तु उसका ईएसआई जमा नहीं करवाया। जिनका पीएफ और ईएसआई जमा करवाया, उसमें कार्मिक का वेतन कम दिखाया। यानी जिस कर्मचारी के ईएसआई के एवज में 340 रुपए जमा होने चाहिए, उसके केवल 100 रुपए ही जमा करवाए। ऐसे में एक कर्मचारी के खाते में 240 रुपए कम जमा हुए।
    इन तीन शिकायतों से समझिए गड़बड़ी
    शिवा सिक्योरिटी को 1 सितम्बर 2021 से 31 अगस्त 2022 तक 19 कम्प्यूटर आॅपरेटर के लिए न्यूनतम मजदूरी 8476 रुपए, सर्विस चार्ज 0.01 रुपए, ईपीएफ 13 प्रतिशत 1101.88 रुपए और ईएसआई 3.25 प्रतिशत के 275.47 रुपए के हिसाब से कुल 9853.35 रुपए नगरपरिषद द्वारा भुगतान किया गया। ठेकेदार को आगे इसी के हिसाब से पीएफ और ईएसआई व वेतन का भुगतान करना था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जानकारी के अनुसार कम्प्यूटर कर्मचारी श्यामसुन्दर के ईपीएफ खाते में अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 तक 18 माह की अवधि में प्रतिमाह 17 दिन की हाजरी के हिसाब से 13 माह तक 27 रुपए और पांच 28 और 30 रुपए जमा करवाए। नियमानुसार ईपीएफ के एवज में कर्मचारी के खाते में कुल 339 रुपए जमा होने चाहिए, जबकि केवल 27 रुपए जमा किए गए।
    वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में 22 कम्प्यूटर आॅपरेटर के लिए वर्क आॅर्डर शिवा सिक्योरिटी को जारी किए गए। इन कर्मचारियों की ईएसआई राशि में भी गड़बड़ की गई। कंप्यूटर कर्मी मानविन्द्र सिंह के ईएसआई खाते में नवम्बर 2022 से मार्च 2023 तक शून्य राशि जमा करवाई गई। इसके बाद अप्रेल 2023 से अगस्त 2023 तक प्रतिमाह 20-20 दिन की हाजरी के हिसाब से 5516 से 5700 रुपए मजदूरी दिखाते हुए 42 व 43 रुपए अंशदान के रूप में जमा करवाए गए हैं, परन्तु रिकॉर्ड में सितम्बर माह की ईएसआई में कोई एंट्री ही नहीं है। इसके अलावा जिस समय ईएसआई में इंट्री शून्य है उस अवधि में उसका पीएफ जमा है। यानी जब काम नहीं किया पीएफ कैसे जमा हुआ।
    वाहन चालक उपलब्ध करवाने के लिए 1 मार्च 2023 से 28 फरवरी 2024 तक मैसर्स शिवा सिक्योरिटी एंड प्लेसमेंट सर्विसेज हिसार को वर्क आॅर्डर जारी किए गए। इसके बाद फर्म ने 80 वाहन चालक उपलब्ध करवाए। वर्क आॅर्डर के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी 13760 रुपए और 3.25 प्रतिशत के हिसाब से 44 रुपए ईएसआई और 1789 रुपए प्रति व्यक्ति का भुगतान नगरपरिषद की ओर से देना तय हुआ। ठेकेदार ने यहां भी ईएसआई जमा करवाने में गड़बड़ी की। कार्मिक जसकरण को अप्रेल से अगस्त 2023 तक 5516 और 5700 रुपए के हिसाब से मजदूरी दिखाते हुए सिर्फ 42 व 43 रुपए ईपीएफ में जमा करवाए गए। जबकि इस अवधि में ठेकेदार ने नगरपरिषद से पूरा भुगतान उठाया।
    नगर परिषद के पास रिकॉर्ड नहीं, फिर भी बिल पास कर दिए
    ठेकेदार फर्म को प्रत्येक माह नगरपरिषद से भुगतान लेने के लिए कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई जमा करवाने की रसीद के एवज में चालान की प्रतिलिपि लगानी होती है, परन्तु ठेकेदार ऐसा नहीं कर रहा। इसके बावजूद उसका बिल पास हो रहा है। अंशदान जमा किया है या नहीं, इसके प्रमाण के तौर पर चालान की प्रतिलिपि भी नगरपरिषद रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अगर इस अवधि के दौरान किसी कर्मचारी के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसे सामाजिक सुरक्षा के तहत निर्धारित लाभ पूरी तरह से नहीं मिलेंगे।
    तब पुलिस थाने पहुंच गया था मामला
    नगरपरिषद कार्मिको के अनुसार पीएफ और ईएसआई में गड़बड़ करने के मामले में फर्म पहले भी विवादों में रह चुकी है। फर्म के विरुद्ध दमकल कर्मचारियों ने सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत करने के साथ आयुक्त को शिकायत करते हुए कोतवाली थाना में पीएफ और ईएसआई राशि गबन मामले में परिवाद दिया था। आयुक्त ने इस मामले में सहायक अभियंता सुमित माथुर को जांच सौंपी। एईएन की जांच व पुलिस में शिकायत के बाद ठेकेदार फर्म ने उनका बकाया पीएफ जमा करवा दिया। इसके बाद दकमल कर्मियों ने शिकायत वापस ले ली। इसके अलावा एक कर्मचारी की एक माह की मजदूरी 87 हजार रुपए दिखाते हुए बकाया पीएफ का भुगतान भी करवाया है।
    मामले की जांच करेंगे
    फिलहाल अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यदि ईएसआई और पीएफ जमा करवाने में ठेकेदार ने कोई गडबड़ की है तो मामले की जांच करवाई जाएगी। साथ ही भुगतान करवाया जाएगा। – रविन्द्र सिंह यादव, आयुक्त, नगर परिषद

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