कहीं आपकी थाली में भी केमिकल वाले फल-सब्जियां तो नहीं ? खाद्य विभाग ने चलाई ये मुहिम

कहीं आपकी थाली में भी केमिकल वाले फल-सब्जियां तो नहीं ? खाद्य विभाग ने चलाई ये मुहिम

अजमेर. शरीर के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है और जरूरी आहार में फल और सब्जियां काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यही फल और सब्जियां शरीर को पोषक तत्व देने की बजाए बीमार कर रही हैं. फल और सब्जियों को पकाने और उन्हें लंबे समय तक ताजा रखने के लिए घातक रसायन का उपयोग किया जा रहा है, जो कैंसर जैसी कई अनेक घातक बीमारियों का कारण बन रही हैं. इसके चलते राजस्थान की भजनलाल सरकार भी सक्रिय हो गई है. सरकार के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक हफ्ते की मुहिम चलाई है. इसके तहत प्रदेशभर में फल और सब्जी के थोक विक्रेताओं पर छापे मारकर विभाग के अधिकारी नमूने ले रहे हैं. नमूनों को प्रयोगशाला में जांचने के बाद रिपोर्ट के आधार अग्रिम कार्रवाई की जा जाएगी.
अजमेर में खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर विशेष अभियान फल और सब्जियों को लेकर चलाया जा रहा है. इसके तहत अजमेर जिले की सबसे बड़ी फल मंडी पर अलग-अलग थोक विक्रेताओ के यहां जाकर देखा तो वहां किसी के पास भी भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (ऋररअक) का लाइसेंस किसी के पास भी नहीं मिला. सभी थोक फल विक्रेताओं को पाबंद किया गया है कि वह फूड लाइसेंस जरूर रखें. एथिलीन गैस और स्प्रे के अलावा फलों को पकाने में काम आने वाले घातक रसायन के उपयोग को लेकर भी जांच की गई है. इसके तहत कुछ नमूने भी लिए गए, जो प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. अभी दो दिन में 40 से अधिक अलग-अलग जगह से नमूने लिए जा चुके हैं.
नहीं है लाइसेंस : अजमेर फल और सब्जी की ब्यावर रोड स्थित मुख्य मंडी में फल सब्जी की 80 आढ़त की दुकानें हैं. इन सब्जी-फल विक्रेताओं के खुद के कोल्ड स्टोरेज भी हैं, जहां फलों को लंबे समय तक रखा जाता है. वहीं, कई थोक व्यापारियों ने फलों को पकाने के लिए चैंबर भी बना रखे हैं. विभाग की पड़ताल में सामने आया कि ज्यादातर फल और सब्जी के थोक विक्रेताओं के पास ऋररअक का लाइसेंस ही नहीं है और न ही कोई इसके बारे में जानता है. लिहाजा विभाग के अधिकारियों ने थोक विक्रेताओं को एफसीआई का लाइसेंस के लिए तुरंत आवेदन करने के लिए कहा है.
आम और सेब पर स्टीकर लगाना गलत : जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि अधिकांश कारोबारी के पास आम और सेब पर स्टीकर लगे हुए पाए गए. यह स्टीकर किसी गम से चिपकाए गए हैं. यह ठीक नहीं है. कारोबारी का कहना है कि स्टीकर लगे फल बाहर से ही आते हैं. ऐसे में कारोबारियों को स्टीकर लगे फल नहीं खरीदने के लिए पाबंद किया गया है.
फलों को पकाने में चाइनीज पुड़िया का उपयोग : जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी केसरी नंदन शर्मा बताते हैं कि केले को पकाने के लिए एफएसएसएआई से अधिकृत एथिलीन की पुड़िया और स्प्रे का उपयोग कारोबारी करते हैं. एथिलीन के अलावा यदि किसी अन्य घातक रसायन से फलों को पकाया जाता है तो वह कानूनन अपराध है और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है. शर्मा ने बताया कि पहले केले को बर्फ पर पकाया जाता था, लेकिन उससे केला खराब भी हो जाता था. पपीता, आम को पकाने के लिए एथिलीन का ही उपयोग होता है. पहले फलों को कैल्शियम काबोर्नेट से पकाया जाता था, जिससे वह फल स्वास्थ्य के लिए घातक बन जाते हैं. एथिलीन की पुड़िया और स्प्रे बाजार में उपलब्ध हैं. स्थानीय भाषा में लोग उसे चाइनीस पुड़िया के नाम से भी जानते हैं. एथिलीन का उपयोग फलों को पकाने के लिए अधिकृत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (ऋररअक) की ओर से किया गया है.
विदेशी फलों पर वैक्स कोटिंग की शिकायत : उन्होंने बताया कि फल के थोक विक्रेताओं ने चैंबर्स बना रखे हैं, जिनमें एथिलीन से सभी फलों को पकाया जाता है. अजमेर की फल मंडी में महाराष्ट्र के नासिक, पुणे, दिल्ली, गुजरात से फल आते हैं. वहीं, सेब जम्मू-कश्मीर और हिमाचल से आ रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि भारत में पैदा होने वाले फलों को घातक रसायन से पकाने का कोई मामला फिलहाल सामने नहीं आया है. हालांकि, विदेशी फलों को लंबे समय तक ताजा बनाए रखने के लिए उन पर वैक्स कोटिंग की शिकायतें मिल रही हैं. लिहाजा चेरी, एवोकाडो, कीवी, आलूबुखारा, सेब, खुबानी, रेड एप्पल आदि पर भी विभाग की नजर है. फल मंडी में विदेशी फल नहीं मिले हैं, लेकिन मार्केट में और भी जांच करेंगे और उसके नमूने प्रयोगशाला भेजे जाएंगे.
आर्टिफिशियल स्वीटनर और कलर का उपयोग : उन्होंने बताया कि फलों में चमक के लिए वैक्स मिलाई जाती है, जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होती है. खाद्य सुरक्षा अधिकारी केसरी नंदन शर्मा बताते हैं कि फलों को यदि घातक रसायन से पकाया गया है तो इसका सेवन करने वाले का पेट खराब होगा. उसकी पाचन क्रिया भी प्रभावित होगी. गर्मी के सीजन में तरबूज और खरबूजे की मांग काफी रहती है. ऐसे में तरबूजे और खरबूजे को लेकर शिकायतें मिल रही हैं कि उनमें आर्टिफिशियल स्वीटनर और कलर का उपयोग किया जा रहा है. इनके भी नमूने लिए गए हैं. फलों में आॅक्सीटोसिन का उपयोग नहीं होता है. हालांकि, सब्जियों में इसका उपयोग किया जाता है. यदि सब्जियों में आॅक्सीटोसिन का उपयोग पाया जाता है तो उसके में सोर्स तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.
इनका कहना है : डॉ. दिव्यांशु नागौरा बताते हैं कि फल और सब्जियां हमारे आहार का मुख्य हिस्सा हैं. इससे शरीर को जरूरी मिनरल्स और विटामिन मिलते हैं, लेकिन घातक रसायन के उपयोग से पकाए गए फलों के सेवन से कैंसर, अल्सर, कमजोर पाचन क्रिया आदि बीमारियां होती हैं. ऐसे में फल और सब्जियों को खरीद कर घर लाने के बाद उन्हें अच्छी तरह से धोकर ही खाने में उपयोग में लेना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर इस तरह के अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि मुनाफाखोरी के चक्कर में फलों और सब्जियों में घातक रसायन का उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसी जा सके.

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