अभी सजग नहीं हुए, तो भविष्य में और बढ़ेगा पर्यावरण प्रदूषण

अभी सजग नहीं हुए, तो भविष्य में और बढ़ेगा पर्यावरण प्रदूषण

भीलवाड़ा। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए वनस्पति शास्त्र के विभाग के अध्यक्ष डॉ बीएल जागेटिया का कहना है कि अभी पर्यावरण को लेकर हम गंभीर नहीं हुए, तो भविष्य में यह बहुत बड़ी वैश्विक समस्या बन जाएगी. इसलिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण बचाने का संकल्प लेना चाहिए. प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व भर में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही अधिक से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया जा रहा है.
माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉक्टर बीएल जागेटिया ने बताया कि प्रतिवर्ष यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट प्रोगाम के तहत 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. विश्व पर्यावरण दिवस की संकल्पना यूनाइटेड नेशन की वर्ष 1972 में स्टॉक होम कॉन्फ्रेंस मे ध्यान में आई थी. पहला विश्व पर्यावरण दिवस वर्ष 1973 में जिनेवा सम्मेलन में मनाया गया. इसकी थीम ‘वन अर्थ’ थी. इस बार पर्यावरण दिवस की थीम ‘एंडिंग प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है. वहीं वर्ष 2024 की थीम ‘लैंड रेस्टोरेशन डेजरटिफिकेशन और ड्रोट रिजिलेन्स’ पर थी. वर्ष 2023 की थीम ‘प्लास्टिक पॉल्यूशन’ को लेकर ही थी.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 व 2025 की थीम प्लास्टिक पॉल्यूशन को लेकर है. प्लास्टिक जनित प्रदूषण मानव जीवन और पृथ्वी के लिए घातक व खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. हम सबको इसके प्रति जागरूक होना चाहिए. हम वन टाइम प्लास्टिक का बेतहासा उपयोग कर रहे हैं. यह प्लास्टिक माइक्रो प्लास्टिक को जन्म दे रहा है, जो नैनो प्लास्टिक में कन्वर्ट हो रहा है. यह मानव स्वास्थ्य के साथ ही पृथ्वी के दूसरे अवयव एक्वेटिक इकोसिस्टम के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो रहा है.
डॉ बीएल जागेटिया ने कहा कि औद्योगिक इकाइयां जहां पर भी होती हैं, उससे तीन तरह का प्रदूषण होता है. पहला वायु प्रदूषण जिसमें सल्फर डाइआॅक्साइड, नाइट्रोजन के आॅक्साइड, कार्बन डाइआॅक्साइड व कार्बन मोनोआॅक्साइड जैसी गैसी निकलती हैं. ये मानव स्वास्थ्य के साथ ही पशु-पक्षियों व जानवरों के लिए हानिकारक है. वहीं औद्योगिक अपशिष्ट से भूजल और सरफेस के स्रोत के पानी को प्रदूषित कर देते हैं.
उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2019 में 90 लाख मौतें प्रदूषण के कारण हुई थीं. भीलवाड़ा भी इससे अछूता नहीं है. कई सारी औद्योगिक इकाइयां पानी को ट्रिट कर बाहर छोड़ रही हैं. हालांकि पानी को ट्रिटे करने में खर्चा ज्यादा आता है, ऐसे में उद्योगपति ध्यान नहीं दे रहे हैं. यह उनकी भी जिम्मेदारी है कि भीलवाड़ा को प्रदूषण मुक्त बनाएं. उन्होंने अपील है कि लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों. साथ ही प्रत्येक देशवासी को वर्ष में एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए और उसकी देखरेख करनी चाहिए जिससे भारत की भावी पीढ़ी का ?भविष्य सुरक्षित रहे.

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