सीमा सन्देश # छतरगढ़
कस्बे की प्राचीन धरोहर, बीकानेर महाराज गंगासिंह कालीन गढ़, वर्तमान में अपनी जर्जर हालत पर आँसू बहा रहा है। यह गढ़ पूर्व महाराजा छत्तरसिंह के समय में स्थापित किया गया था। महाराज गंगासिंह अपने शासनकाल में क्षेत्र भ्रमण के दौरान यहां विश्राम करते थे और दरबार भी लगाया करते थे। अब यह गढ़ उपेक्षा और मरम्मत के अभाव के कारण खंडहर में तब्दील हो चुका है। संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण गढ़ के चारों ओर दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। गढ़ के बाहरी हिस्से पर अतिक्रमण हो चुका है, जिससे इसके अस्तित्व को खतरा हो गया है। यदि इस स्थिति को जल्द नहीं सुधारा गया, तो यह ऐतिहासिक धरोहर पूरी तरह से नष्ट हो सकती है। इस गढ़ में कुछ वर्षों तक जयपुर भूदान यज्ञ बोर्ड का कार्यालय भी स्थापित था, लेकिन विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के कारण इसका समय पर रखरखाव नहीं किया गया और यह खंडहर में बदल गया।
कस्बे के प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि इस गढ़ को सरकारी योजनाओं के तहत फिर से अस्तित्व में लाया जाना चाहिए। अगर इसका पुनर्निर्माण किया जाए और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए, तो यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि राज्य सरकार के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी बन सकता है।
इनका कहना है
‘अब हमें इस ऐतिहासिक गढ़ का निरीक्षण करना होगा। मरम्मत के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों से जानकारी लेने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे।’
– पवन कुमार, एसडीएम, छतरगढ़।

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