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हाइट का मजाक उड़ाने वाले PAK राष्ट्रपति को जब शास्त्री जी ने चखाया मजा, ट्रेन की बोगी से कूलर हटवाने का किस्सा

नई दिल्ली।
आज का दिन बहुत खास है। अति-विशेष इसलिए क्योंकि आज ही के दिन भारत माता के दो महापुरुषों ने जन्म लिया। जब हम आज के दिन दो महापुरुषों की बात करते हैं तो अनायास ही वे नाम हमारे सामने आ जाते हैं। एक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न लाल बहादुर शास्त्री। आजाद भारत को एक नया आकार देने में इनके विचारों और कार्यों का विशेष योगदान रहा। महात्मा गांधी कहते थे, “मानवता की महानता, मानव होने में नहीं, बल्कि मानवीय होने में हैं”। 
लाल बहादुर शास्त्री का व्यक्तित्व इसी विशेषता का प्रतिबिंब हैं। महात्मा गांधी के सपने को साकार रूप देने, देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने व राष्ट्र के विकास के मार्ग को प्रशस्त करने में लाल बहादुर शास्त्री का अमूल्य योगदान रहा है। कहते हैं कि गुदड़ी में भी लाल होते हैं। 2 अक्टूबर 1904 को इस कहावत को चरितार्थ करते हुए वाराणसी के समीप एक छोटे से कस्बे में एक सामान्य परिवार में लाल बहादुर नाम के ‘लाल’ का अवतरण हुआ। अभाव और संसाधनहीनता इस “गुदड़ी के लाल” का रास्ता न रोक सकी। शास्त्री जी कहते थे, “धैर्य बहुत सी कठिनाइयों पर विजय पाता है”। इनका जीवन इसका दर्शन है।
  शास्त्री जी के अमूल्य योगदान के संदर्भ में 1991 में अनसूयाप्रसाद बलोदी अपनी पुस्तक “कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री” में लिखते हैं- 
शस्य श्यामला भारत भू को, करता वह श्रमशील किसान।
प्रहरी जिसका सजग बना है, धरती का सुत वीर जवान॥
मातृभूमि के मेरु सबल ये, नहीं जानते हैं विश्राम।
पूर्ण मान दिया था इनको , लालबहादुर तुम्हें प्रणाम॥