नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सीमांत इलाकों में वाइब्रेट गांव तैयार करने का फैसला लिया है। इसके तहत गांवों में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा और लोगों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान किए जाएंगे। इस नीति के तहत कुल 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में पड़ने वाले गांवों को कवर किया जाएगा, जो उत्तर भारत में आते हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस नीति के जरिए लोगों को गांवों में ही रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे पलायन थमेगा और गांवों का विकास होने से आबादी बनी रहेगी। ऐसी स्थिति में चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों से निपटने में मदद मिलेगी।
इस स्कीम से सीमाओं पर एक तरफ सुरक्षा मजबूत हो सकेगी तो वहीं पलायन करके गए लोगों को भी वापस गांव लाने के प्रयास किए जाएंगे। यहां स्किल डिवेलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जाएगा। स्थानीय उत्पादों को भी प्रमोट किया जाएगा। इस स्कीम पर मौजूदा वित्त वर्ष से लेकर 2025-26 तक काम होगा। इसके तहत 4,800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यही नहीं सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से केंद्र सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है। भारत और चीन की सीमाओं पर तैनात रहने वाले अर्धसैनिक बल आईटीबीपी की 7 और बटालियनों का गठन किया जाएगा।
इसके तहत कुल 9400 अतिरिक्त जवानों की भर्ती की जाएगी। इसके अलावा एक आॅपरेशनल बेस भी तैयार किया जाएगा। माना जा रहा है कि चीन की सीमा पर मुस्तैदी बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया जा रहा है। सरकार ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इसके तहत देश भर में डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में करीब 2 लाख सहकारी संस्थाओं की स्थापना की जाएगी। गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक में मोदी सरकार ने चीन से लगती सीमाओं पर सैनिकों की संख्या में बड़ा इजाफा किया है।