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वाह प्रज्ञान! राह में आया चार मीटर गहरा गड्ढा तो खतरा देख रोवर ने खुद बदल लिया रास्ता

बंगलूरू। इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं। पहली तस्वीर में नेविगेशन कैमरे के जरिए यह दिखाई दे रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में कैसे आगे की तरफ एक बड़ा गड्ढा मौजूद है। रोवर जब अपने स्थान से तीन मीटर आगे चला, तब वहां यह गड्ढा मौजूद था। चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर ‘प्रज्ञान’ पृथ्वी पर रोज नए अपडेट भेज रहा है। चंद्रमा की सतह पर चल रहे इसके अध्ययन के दौरान ‘प्रज्ञान’ रोवर का सामना चार मीटर व्यास गहरे गड्ढे से हुआ। इसके बाद रोवर को निर्देश भेजे गए। रोवर ने अपना रास्ता बदला और खतरे से बचते हुए नई दिशा में आगे बढ़ गया। यह घटना 27 अगस्त की है, जिसके बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को बताया। इसरो ने दो तस्वीरें जारी कीं इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं। पहली तस्वीर में नेविगेशन कैमरे के जरिए यह दिखाई दे रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में कैसे आगे की तरफ एक बड़ा गड्ढा मौजूद है। रोवर जब अपने स्थान से तीन मीटर आगे चला, तब वहां यह गड्ढा मौजूद था। दूसरी तस्वीर में नेविगेशन कैमरा बता रहा है कि कैसे रोवर ने बाद में रास्ता बदला और अब वह नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। चंद्रमा पर बड़े गड्ढे चंद्रमा पर विशालकाय गड्ढों की अच्छी खासी संख्या है। गहरे गड्ढों में सदियों से सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचा है। इन क्षेत्रों में तापमान माइनस 245 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह पर उल्कापिंड का गिरना, ज्वालामुखी फटना या भूगर्भ में किसी अन्य कारण से हुए विस्फोट के चलते ये विशालकाय आकार के गड्ढे बने हुए हैं। चंद्रमा की सतह गर्म, 80 मिमी अंदर तापमान कम इससे पहले चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर में लगे चास्टे उपकरण ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ी पहली जानकारी भेजी थी। इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्र सतह जहां करीब 50 डिग्री सेल्सियस जितनी गर्म है, वहीं सतह से महज 80 मिमी नीचे जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है। सतह के नीचे पानी होने की संभावना कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह एक संकेत भी है कि चंद्र सतह के नीचे पानी के भंडार हो सकते हैं। इसरो ने रविवार को इस नई जानकारी के बारे में लिखा था कि ‘विक्रम’ लैंडर ने चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट यानी चैस्ट उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रमा की ऊपरी परत के तापमान की प्रोफाइल बनाई है। इसके जरिए चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने में मदद मिल सकती है।