मुंबई
चॉकलेट और बिस्कुट बनाने वाली कंपनी कैडबरी ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट पर जवाब दिया है। जिसमें कहा दावा किया जा रहा है कि कंपनी के प्रोडक्ट में जिलेटिन (gelatin) यानी जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता है। इस पर कैडबरी ने कहा कि पोस्ट को शेयर करने से पहले ग्राहकों को फैक्ट चेक करना चाहिए।
वायरल पोस्ट भारत में बनने और बिकने वाली प्रोडक्ट्स से संबंधित नहीं
कन्फेक्शनरी कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट भारत में बन रहे कैडबरी प्रोडक्ट्स के संबंध में नहीं हैं। क्योंकि यहां बनने या बिकने वाले सभी प्रोडक्ट्स 100% वेजीटेरियन होते हैं। कंपनी ने आगे कहा चॉकलेट के रैपर यानी पैकेट पर हरे रंग का सर्कल दर्शाता है कि भारत में बनने और बिकने वाले सभी प्रोडक्ट्स शाकाहारी हैं।
बताते चलें कि सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट वायरल होने के बाद कंपनी ने कहा कि स्क्रीनशॉट भारत में निर्मित मोंडलेज उत्पादों से संबंधित नहीं है। मोंडलेज इंटरनेशनल अमेरिकी कंपनी है, जो अब ब्रिटिश कंपनी कैडबरी की मालिक है।
कंपनियां जिलेटिन का इस्तेमाल प्रोडक्ट तैयार करने में क्यों करती हैं?
न्युट्रिशनिस्ट और डायटिशियन अमिता सिंह कहती हैं कि कंपनियां जिलेटिन का इस्तेमाल प्रोडक्ट्स की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और एक्सेप्टिबिलिटी के लिए करती हैं। एक्सेप्टिबिलिटी में टेस्ट, जेस्चर और लुक शामिल हैं। आमतौर पर मल्टीनेशनल कंपनियां अपने प्रोडक्ट को तैयार करने के लिए तय फॉर्मुला का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों के चलते इनमें कुछ बदलाव भी की जाती हैं।
उदाहरण के तौर पर कैडबरी चॉकलेट को देख सकते हैं, जो भारत में शाकाहारी बनता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जिलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है।
निगेटिव कंटेंट से कंपनी की इमेज खराब करने की मंशा
कंपनी ने अपने बयान में कहा कि इस तरह के निगेटिव पोस्ट का उद्देश्य कैडबरी की इमेज को खराब करना है। सबको पता है कि ऐसे वायरल कंटेंट से ग्राहकों का कॉन्फिडेंस गिरता है और इसका असर ब्रांड इमेज पर पड़ता है।

हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा स्क्रीनशॉट कैडबरी वेबसाइट का ही है। लेकिन स्क्रीनशॉट में साइट का जो URL है, वह Cadbury.com.au है। मतलब कंपनी की ऑस्ट्रेलियाई यूनिट की वेबसाइट है। ध्यान दें कि .au ऑस्ट्रेलिया के लिए कंट्री कोड टॉप-लेवल डोमेन है। यानी कंपनी सही कह रही है कि यह भारत में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स से संबंधित नहीं है।