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लम्पी का असर और महंगाई की मार घी और डेयरी प्रोडक्ट्स के दाम बढ़े

और डेयरी प्रोडक्ट्स के दाम बढ़े

श्रीगंगानगर (सीमा सन्देश)। गोवंश में फैली लंपी स्किन बीमारी का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। लंपी के कारण पशुओं की लगातार मौत के कारण दूध का उत्पादन कम हो गया है। ऐसे में पशुओं से मिलने वाले दूध सहित अन्य सामग्री के दामों में भारी वृद्धि हुई है। इसके कारण आम आदमी के रोजमर्रा के खर्च में इजाफा होने के साथ रसोई का खर्च भी बढ़ा है। करीब दो माह से पशुओं में फैली इस बीमारी के कारण कम हुए दूध की आपूर्ति ही अभी तक पूरी नहीं हो पाई।
हालात ये हैं कि गांवों में ही दूध बचता ही नहीं। जबकि शहरों में अभी भी डिमाण्ड पहले की तरह बरकरार है। ऐेसे में दूध की कमी होने के साथ ही आम आदमी की जरूरत दूध, दही, घी, मक्खन जैसी चीजों के दामों में बढ़ोतरी हुई है।
जानकारी अनुसार वर्तमान में गत दो माह पूर्व के मुकाबले 5 से 10 रुपए प्रतिकिलो तक बढ़ोतरी हुई है। कई जगह को दूधिए 45 रुपए प्रतिकिलो तक गाय का दूध दे रहे है। जबकि डेयरी वाले यही दूध 50 रुपए प्रतिकिलो तक बेच रहे हैं। दूध 4 से 6 रुपए तक महंगा होने के कारण घी और दूध से बनने वाली सामग्री के दामों में भी बढोतरी हुई है। दूध की कमी का इतना व्यापक असर हुआ है कि जो लोेग पहले दूध खरीद कर अपने स्तर पर उसका मावा बना उसकी मिठाई बनाकर बेचते थे। वे लोग अब हनुमानगढ़ डेयरी से रेडीमेट मावा मंगवाने को मजबूर है। वहीं दूध और मावे के दामों में बढोतरी के कारण अपने स्वाद और शुद्धता के लिए प्रसिद्ध रेवाड़ी वर्फी सहित अन्य मिठाई के दामों में पिछले दो माह में 50 रुपए प्रतिकिलो तक इजाफा हुआ है।