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मुट्ठीभर लोग पाबंदी नहीं तय कर सकते… ‘द केरल स्टोरी’ पर बैन हटाते हुए सुप्रीम कोर्ट का ममता सरकार को जवाब

कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को झटका देते हुए फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ से बैन हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि मुट्ठीभर लोग पाबंदी को तय नहीं कर सकते हैं। बैन हटाते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर किसी को फिल्म पसंद नहीं है तो वह न देखें। कोर्ट ने द केरल स्टोरी के प्रोड्यूसर से 20 मई को शाम पांच बजे तक फिल्म में 32,000 महिलाओं के इस्लाम में धर्मांतरण के आरोपों पर डिस्क्लेमर लगाने को कहा।
बैन हटाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की आजादी का मूल अधिकार लोगों की भावना का मोहताज नहीं है। मुट्ठी भर लोग पाबंदी को तय नहीं कर सकते। अगर किसी को फिल्म पसंद नहीं है तो वह न देखें, पर कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य का दायित्व है। राज्य सरकार का बैन गैरवाजिब है।’
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में द केरल स्टोरी के प्रदर्शन पर प्रदेश सरकार की ओर से लगाए गए बैन को गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने साथ ही कहा कि फिल्म को मिले प्रमाण-पत्र को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर निर्णय के लिए कार्यवाही से पहले वह द केरल स्टोरी देखना चाहेगा।
पीठ फिल्म को सीबीएफसी प्रमाणपत्र दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से प्रमाण-पत्र प्राप्त है और कानून-व्यवस्था बरकरार रखना प्रदेश सरकार का दायित्व है।
पीठ ने कहा, ‘खराब फिल्में बॉक्स आॅफिस पर नहीं चलती हैं।’ कोर्ट ने कहा, ‘कानून का इस्तेमाल सार्वजनिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है, वरना सभी फिल्मों को लेकर ऐसी ही स्थिति पैदा होगी।’ पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला भी शामिल हैं। कोर्ट ने द केरल स्टोरी के निमार्ता से 20 मई को शाम पांच बजे तक फिल्म में 32,000 महिलाओं के इस्लाम में धर्मांतरण के आरोपों पर डिस्क्लेमर लगाने को कहा।