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भारत को आयातित महंगाई से सावधान रहने की जरूरत

नई दिल्ली

आज, यानी 31 जनवरी 2022 को संसद का बजट सत्र शुरू चुका है। लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2021-22 के लिए इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को आयातित मुद्रास्फीति यानी महंगाई से सावधान रहने की जरूरत है, विशेष रूप से वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से। उपभोग मूल्य वृद्धि उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं दोनों में वैश्विक मुद्दे के रूप में फिर से प्रकट हुई है।

भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति दिसंबर 2021 में 5.6% थी। हालांकि, थोक मूल्य मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में चल रही है। सर्वेक्षण में कहा गया है, “हालांकि यह आंशिक रूप से आधार प्रभावों के कारण हैं, जो कि बाहर भी होंगे, भारत को आयातित मुद्रास्फीति से सावधान रहने की जरूरत है, खासकर वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से।”

आर्थिक सर्वेक्षण ने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले अगले वित्तीय वर्ष के लिए 8-8.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में सर्वेक्षण पेश किया, जबकि कल सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी मैक्रो संकेतकों ने संकेत दिया कि अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है, जिससे कृषि और औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में तेजी आई है।