पहली बार एक गिद्ध को कृत्रिम पैर लगाए हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। मादा गिद्ध मिया का पैर बुरी तरह से डैमेज होने के बाद ऑस्ट्रिया के आउल एंड बर्ड ऑफ प्रे-सेंचुरी लाया गया था। सेंचुरी में डॉक्टर्स की एक टीम ने उसे कृत्रिम पैर लगाया। डॉक्टर्स ने उसके लिए खास तरह का प्रोस्थेटिक लेग तैयार किया। अब वह दूसरे गिद्ध की तरह उड़ सकता है। पूरी तरह से रिकवर होने के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा।
मिया की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की टीम।
गिद्ध जैसे भारी पक्षी का पैर बनाना मुश्किल
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के एक्सपर्ट्स ने मिया के लिए स्थायी कृत्रिम पैर तैयार किए। एक्सपर्ट्स का कहना है, छोटी चिड़िया में कृत्रिम पैर लगाना और उनका सर्वाइव करना आसान होता है क्योंकि ऐसे पक्षी हल्के होते हैं। गिद्ध के मामले यह आसान नहीं है। कृत्रिम पैर तैयार करते समय यह ध्यान रखना पड़ा कि गिद्ध अपने शरीर के साथ इसका भार सहन कर पाएगा या नहीं।
ऐसे हुई सर्जरी
मिया की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स के ग्रुप को लीड कर रहे प्रो. ऑस्कर अज़मान इससे पहले दिव्यांगों के लिए कृत्रिम हाथ तैयार कर चुके हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, कृत्रिम पैर को गिद्ध के पैर की हड्डी के अंत में जोड़ा गया। सर्जरी के 3 हफ्ते के बाद गिद्ध चलने की कोशिश करने लगा। करीब 6 हफ्ते वह अपने शरीर के साथ पैरों का वजन सहने लायक बन गया। वर्तमान में अब वह चलने-फिरने और उड़ने लायक हो गया है।
ऑपरेशन के 6 माह बाद कृत्रिम पैर के साथ गिद्ध ने चलना-फिरना शुरू किया।
पैरों का एक्स-रे करके जाना हाल
सर्जरी के बाद गिद्ध कितना सहज है और पैर कितना मजबूत है, इसे जानने के लिए पैरों का एक्स-रे भी किया गया। प्रो. ऑस्कर का कहना है, इस प्रक्रिया को ऑस्सेऑपरेशन कहते हैं। इसकी मदद से मिया आम पक्षियों की तरह चल पा रहा है और खाना खा पा रहा है। ऐसा पहली बार है जब किसी गिद्ध में कृत्रिम पैर लगाए गए हैं।
4 हफ्ते बाद डैमेज स्किन रिपेयर होना शुरू हुई
साइंटिफिक जर्नल में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, सर्जरी के बाद एंटीबायोटिक्स दी गईं। करीब 4 हफ्ते के बाद धीरे-धीरे डैमेज हुई स्किन रिपेयर होना शुरू हो गई। डॉक्टर्स का कहना है, ब्रीडिंग के लायक होने के बाद इसे वापस जंगल में छोड़ दिया जाएगा।