चंडीगढ़
पंजाब की सियासत में साल 2021 में कई बड़े उलटफेर देखने को मिले। हर सियासी दल अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कसता नजर आया। किसान हितों के मुद्दे पर भाजपा से गठबंधन तोड़ने वाले अकाली दल ने बसपा को नया पार्टनर बना लिया।
कांग्रेस में हाशिये पर पहुंच चुके क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिद्धू ने दोबारा ‘फॉर्म’ में ऐसी वापसी की कि कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ने को भी मजबूर हो गए। किसी समय पंजाब में कांग्रेस का चेहरा कहे जाने वाले कैप्टन आज अपनी पार्टी बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन करके उसी कांग्रेस को चुनाव में हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
कैप्टन के मंत्रिमंडल में साढ़े 4 साल तक लो-प्रोफाइल मंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी सूबे के पहले दलित सीएम बन गए। अरविंद केजरीवाल इस बार 2017 से बेहतर कुछ करने की आस में पंजाब के चक्कर लगा रहे हैं तो भाजपा इस बॉर्डर स्टेट में पहली बार अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी है। इन तमाम बातों के बीच सिद्धू अपने स्टाइल में कभी खुद की पार्टी वाली सरकार को ललकार रहे हैं तो कभी विरोधियों को।