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पंजाब की तर्ज पर ‘ऑपरेशन राजस्थान’:कांग्रेस हाईकमान अब राजस्थान की खींचतान मिटाने के लिए बड़े फैसले की तैयारी में, पायलट कैंप की मांगों को पूरा करने पर काम होगा

जयपुर

पंजाब कांग्रेस की तर्ज पर अब कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में खींचतान मिटाने के लिए बड़े फैसले कर सकता है। पंजाब में नवजोज सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर खेमे के न चाहते हुए भी प्रदेशाध्यक्ष बनाने के बाद अब ऑपरेशन राजस्थान की तैयारियों पर मंथन चल रहा है। कांग्रेस हाईकमान ऑपरेशन राजस्थान के तहत खींचतान मिटाने के लिए सचिन पायलट कैंप की मांगों को पूरा करने की कवायद शुरू कर सकता है। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब मॉडल के बाद यह संकेत दे दिए हैं कि एक लिमिट से ज्यादा ‘फ्री हैंड’ किसी मुख्यमंत्री या बड़े नेता को नहीं मिलेगा।

छवि खराब होने के संकेत

कांग्रेस के जानकारों के मुताबिक, पंजाब के जरिए कांग्रेस हाईकमान ने अब परसेप्शन बदल ​दिया है। कांग्रेस हाईकमान के पास यह फीडबैक है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमों के बीच चल रही खींचतान के लंबा खिंचने से जनता में सरकार और संगठन की छवि खराब हो रही है। इस खींचतान के कारण न मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है न राजनीतिक नियुक्तियां समय पर हुई हैं। साल भर से जिला और ब्लॉक स्तर पर कोई पदाधिकारी नहीं है। कांग्रेस में संगठन पदाधिकारियों के नाम पर केवल प्रदेशाध्यक्ष और 39 प्रदेश पदाधिकारी हैं।

क्षेत्रीय क्षत्रपों के लिए आइना
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान के घटनाक्रम पर कांग्रेस हाईकमान इन दिनों लगातार निगाह रखे हैं। पिछले साल सचिन पायलट कैंप के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत और फिर वापसी के बाद काफी कुछ बदला है। बीच में कांग्रेस हाईकमान के कमजोर होने की हालत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पूरी तरह फ्री हैंड मिलने की अटकलें थीं। अब पंजाब के बाद धारणा बदलती हुई दिख रही है। पंजाब के फैसले से कांग्रेस हाईकमान ने क्षेत्रीय क्षत्रपों को आइना दिखाया है।

सियासी पुनर्वास की उम्मीद
पंजाब के बाद अब राजस्थान में सचिन पायलट कैंप के नेताओं को उनकी मांगों के पूरा होने की उम्मीद जगी है। सचिन पायलट कैंप पिछले साल सुलह के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियां और संगठनात्मक नियुक्तियां जल्द करने की मांग कर रहा है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ दो दौर की बैठकें करके मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठनात्मक नियुक्तियों पर चर्चा की थी। उस वक्त गहलोत ने शेयरिंग फार्मूले पर एतराज जताते हुए पायलट खेमे को उसके विधायकों की संख्या के अनुपात में मंत्री बनाने का तर्क दिया। इसकी वजह से मामला अटक गया। अब इस काम को आगे बढ़ाए जाने की संभावना है।

ओवरहॉलिंग की तैयारी
राजस्थान में लंबे समय से चल रही खींचतान को कम करने के लिए सत्ता संगठन की जल्द ओवरहॉलिंग की तैयारी है। सचिन पायलट कैंप को उसकी मांग के मुताबिक सत्ता और संगठन में भागीदारी मिल सकती है। खाली पड़े संगठन के पदों से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में भी पायलट कैंप को तरजीह मिल सकती है।

पायलट समर्थक प्रदेश सचिव ने लिखा

पायलट समर्थक कांग्रेस के प्रदेश सचिव महेंद्र सिंह खेड़ी ने एक वाटसएप ग्रुप पर लिखा- आज एक घटना याद आ गई। जयपुर परकोटे में एक बार बरामदे हटाने की बड़ी कार्रवाई का ऐलान हुआ था। विरोध काफी दमदार था, लेकिन तत्कालीन अधिकारी ने शुरू के चार बरामदे तोड़ दिए। उसके बाद बाकी वालों ने खुद ही खाली कर दिए। पंजाब से एक बड़ा संदेश गया, क्योंकि अमरिंदर से करीबी हाईकमान का सीएम कोई नहीं है। पायलट समर्थक क्रांति तिवारी ने लिखा- बहुत दिनों बाद कांग्रेस हाईकमान ने बेहतरीन निर्णय किया है। राजस्थान के लोकप्रिय नेता सचिन पायलट साहब के मामले में भी हाईकमान ऐतिहासिक निर्णय लें।

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