नई दिल्ली
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और टाटा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। टेलीकॉम कंपनियों ने कहा है कि AGR बकाया की गणना गलत तरीके से की गई है, इसलिए इसकी सही गणना करने के आदेश दिए जाएं।
कोर्ट ने AGR बकाया चुकाने के लिए कंपनियों को 10 साल का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को बकाया राशि का 10 फीसदी एडवांस में चुकाना होगा। फिर हर साल समय पर किस्त चुकानी होगी। इसके लिए कोर्ट ने 7 फरवरी समय तय किया था। सभी कंपनियों को हर साल इसी तारीख पर बकाया रकम की किस्त चुकानी होगी। यदि वे किस्त समय पर नहीं देती हैं तब उन्हें ब्याज देना होगा।
टेलीकॉम कंपनियों पर 1.69 लाख करोड़ रुपए बकाया
AGR बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपए का है, जबकि अभी तक 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपए चुकाए हैं। टेलीकॉम कंपनियों ने AGR बकाए के लिए 15 साल का समय मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने AGR की बकाया रकम पर अपना पहला फैसला 24 अक्टूबर, 2019 को सुनाया था। इसके बाद वोडाफोन-आइडिया ने कहा था कि अगर उसे बेलआउट नहीं किया गया तो उसे भारत में अपना कामकाज बंद करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कंपनियां इन 10 साल के दौरान पेमेंट पर डिफॉल्ट करती हैं तो इंटरेस्ट और पेनल्टी देनी होगी। वहीं, टेलीकॉम कंपनियों को AGR की बकाया रकम चुकाने का हलफनामा जमा करना होगा।
वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बकाया
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस। एयरटेल पर 35 हजार करोड़, वोडाफोन आइडिया पर 53 हजार करोड़ और टाटा टेलीसर्विसेज पर करीब 14 हजार करोड़ का बकाया है।