ज्योति राजपुरोहित लिखती हैं राजस्थानी लिपि में कविताएं
by seemasandesh
मरूगुजरी लिपि में कविता लिखने वाली पूरे विश्व में एकलौती कवयित्री हनुमानगढ़ (सीमा सन्देश न्यूज)। जब से आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान शुरू हुआ है तब से इसका खुमार युवाओं को ऐसा चढ़ा है कि वो हर तरीके से अपनी भाषा और संस्कृति को सहेजना चाहते हैं। अभियान चलाने वाले हरीश हैरी हनुमानगढ़ ने बताया कि कुलदीप राजपुरोहित की प्रेरणा से जोधपुर में रहने वाली ज्योति राजपुरोहित ने एक अनूठा काम किया है। कॉलेज के बीएससी के फाइनल इयर में पढ़ने वाली ज्योति राजपुरोहित ने अपनी कविताओं को पुरानी राजस्थानी स्क्रिप्ट में लिखना शुरू किया है। वे राजस्थानी भाषा संस्कृति में काफी दिलचस्पी रखती हैं और अपने तरीके से इसको सहेजना चाहती हैं। ज्योति कहती हैं कि जब हम लोग अपनी भाषा अपनी लिपि का संरक्षण नहीं करेंगे तो हम अपने पारंपरिक ज्ञान को सहेज नहीं पाएंगे। इसीलिए वो पुराने दस्तावेजों से यह लिपि सीखकर उसको व्यवहार में लाने का प्रयास कर रही हैं। उनके इस प्रयास की सब लोग सराहना कर रहे हैं। ज्योति भविष्य में इस लिपि को और अधिक बच्चों को सिखाना चाहती है ताकि यह लिपि फिर से जीवित हो सके। कविता और कहानी लेखन में इस लिपि का प्रयोग ऐसा करने वाली ज्योति संभवतया पूरे विश्व में एकलौती है। राजस्थान के लोग अपनी मूल लिपि को हिन्दी भाषा के लागू होने के बाद लगभग भूल ही गए हैं, जो कभी राजस्थान के साहित्य को समृद्ध करती थी। जो लोग इस लिपि को जानते हैं वे इसका प्रयोग पुराने दस्तावेज पढ़ने में ही करते हैं। लंदन में रहने वाले हनुवंत सिंह राजपुरोहित, उदयपुर के भाव्यांश मेवाड़ तथा जोधपुर के गोपाल मारवाड़ी के इसको डिजिटलाइज्ड करने के संयुक्त प्रयास से पिछले दो वर्षों से यह लिपि फिर से चर्चा में है। सोशल मीडिया पर कुलदीप राजपुरोहित अब तक काफी बैनरों में इस लिपि का प्रयोग कर चुके हैं। इस लिपि का किबोर्ड बनाने की मांग बहुत तेज हो रही है।