जयपुर. जयपुर के ग्रामीण इलाकों से शहर में आवारा पशुओं की संख्या को कंट्रोल करने के लिए सरकार जयपुर की हर पंचायत समिति में नन्दीशाला खोलने की तैयारी कर रही है। बजट घोषणा के तहत पशुपालन विभाग ने नंदीशाला खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे है। ये आवेदन 13 फरवरी तक मांगे है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि योजना के तहत अभी जयपुर की जोबनेर, किशनगढ़-रेनवाल, सांभर लेक और मौजमाबाद पंचायत समितियों में नंदीशाला खोले जाने के लिए संस्था का चयन का शुरू कर दिया है। शेष 15 पंचायत समितियों के लिए आवेदन मांगे जा रहे है, जिसकी आखिरी तारीख 13 फरवरी है।
20 बीघा जमीन होना जरूरी
विभाग की ओर से नन्दीशाला चलाने वाली संस्थाओं से जो प्रस्ताव मांगे है उसमें 20 बीघा जमीन संबंधित संस्थान के नाम से उक्त पंचायत समिति में होना अनिवार्य है। इसके अलावा प्रत्येक संस्था के पास 250 नन्दी (नर गौवंश) की देखभाल का अनुभव होना चाहिए। इसके साथ ही जब नन्दीशाला बनाई जाएगी तो उसके एक साल के अंदर संस्था को कम से कम 250 नन्दियों को संधारित करना आवश्यक होगा।
सरकार देगी 1.41 करोड़ रुपए तक की मदद
राज्य सरकार ने 20 बीघा जमीन पर 250 गौवंश के लिए बनने वाली नन्दीशाला के निर्माण पर 1.57 करोड़ रुपए की लागत मानी है। इस कुल खर्च का 90 प्रतिशत यानी 1 करोड़ 41 लाख 30 हजार रुपए राज्य सरकार वहन करेगी, जबकि 10 प्रतिशत राशि संबंधित संस्थान को खर्च करनी होगी। अगर 1.57 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत आती है तो भी सरकार 1.57 करोड़ का 90 फीसदी ही हिस्सा मदद के रूप में देगी।
ये होगा फायदा
वर्तमान में जयपुर शहर में बड़ी संख्या में आवारा पशु की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन आवारा पशुओं के कारण जयपुर में आए दिन दुर्घटनाएं होती है। इसके अलावा जयपुर चारदीवारी एरिया में ट्रेफिक जाम का कारण भी कई बार ये आवारा पशु बन जाते है। जयपुर शहर में इनकी संख्या में बढ़ोतरी होने का एक बड़ा कारण ग्रामीण इलाकों से इन नन्दी को जयपुर शहर की सीमा में लोग छोड़ देते है। क्योंकि ये नन्दी खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाते है। अगर इन पंचायत समितियों में नन्दीशाला बनती है तो फिर ग्रामीण इन आश्रय स्थलों में इनको छोड़ सकेंगे, जिससे जयपुर शहर में इनकी आबादी पर कंट्रोल होगा।