प्रभारी के सामने जाहिर की पीड़ा जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार में अंतर कलह की बात किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस कार्यकतार्ओं और पदाधिकारियों के बाद अब सरकार के मंत्री भी खुद की सुनवाई नहीं होने से परेशान हैं। मंत्रियों का कहना है कि अधिकारी उनके आदेश नहीं मानते हैं । मंत्रियों ने अधिकारियों की एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट)भरने का अधिकार मांगा है। जिससे अधिकारियों पर लगाम लगाई जा सके । मंत्रियों ने तबादलों के अधिकार भी मांगे हैं। दरअसल,कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंघावा पिछले दो दिन से राजस्थान के कांग्रेस नेताओं, विधायकों एवं मंत्रियों से मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की मौजूदगी में हुई बैठक में मंत्रियों ने खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की । इस दौरान मंत्रियों में आपस में नोकझोंक भी हुई। खुद मंत्रियों ने ही मौजूदा मंत्रिमंडल के तीस फीसदी सदस्यों के टिकट काटे जाने का सुझाव दिया। अधिकांश मंत्रियों ने तृतीय श्रेणी के शिक्षकों के तबादलों पर रोक नहीं हटने आम जनता एवं कार्यकतार्ओं में नाराजगी की बात कही। इस पर रंघावा ने कहा कि बिना किसी नीति के तबादले किए जाने चाहिए। सीएम गहलोत ने मंत्रियों के सुझाव आने के बाद शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से तबादले करने को कहा है। बैठक में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद खत्म करवाने का सुझाव दिया। गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव ने खुद के पास थानेदार और पुलिस कांस्टेबल के तबादलों का अधिकार नहीं होने की बात कही। नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने यादव का समर्थन किया। बैठक में यादव और आंजना ने मौजूदा मंत्रियों में से तीस फीसदी के टिकट काटे जाने का सुझाव दिया। दोनों ने कहा कि तीस फीसदी मंत्रियों के टिकट काटे जाने से विधानसभा चुनाव जीतने की संभावना बढ़ेगी।