Tuesday, March 28निर्मीक - निष्पक्ष - विश्वसनीय
Shadow

किसान बोले, कौड़ियों के दाम नहीं बेचेंगे अपनी उपजाऊ जमीन

  • रीको के लिए अवाप्त की जाने वाली जमीन का उचित मुआवजा देने की मांग
    हनुमानगढ़ (सीमा सन्देश न्यूज)।
    ग्राम पंचायत कोहला के चक 14 एसएसडब्ल्यू में प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के लिए अवाप्त की जाने वाली जमीन को किसानों ने कौड़ियों के दाम नहीं बेचने की बात कही है। चक के किसानों ने बुधवार शाम को मौके पर पहुंचे रीको श्रीगंगानगर के अधिकारियों को दो टूक कहा कि या तो उन्हें भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत अवाप्त की गई जमीनों के दिए गए मुआवजे के हिसाब से मुआवजा राशि मिले। अन्यथा वे अपनी जमीन नहीं बेचेंगे। गुरुवार को भी किसानों ने मौके पर एकत्रित होकर यह बात दोहराई। इस मौके पर पूर्व पार्षद कविन्द्रसिंह ने बताया कि चक 14 एसएसडब्ल्यू में रीको के लिए जगह अवाप्त करने की योजना है। लेकिन कम मुआवजा देने की बात को लेकर यह मामला कोर्ट में चल रहा है। उन्होंने बताया कि रीको श्रीगंगानगर के अधिकारी बुधवार शाम को यहां आए थे। तब भी क्षेत्र के किसान यहां एकत्रित हुए थे। तब अधिकारियों से हुई वार्ता में किसानों ने कहा कि वे दस दिन में आपस में विचार-विमर्श करेंगे। इसके बाद अपना निर्णय सुनाएंगे। कविन्द्रसिंह ने बताया कि किसानों को एक बीघा जमीन की मात्र दो लाख 60 हजार रुपए की मुआवजा राशि दी जा रही है। जबकि इसी जमीन से भारतमाला सड़क निकली है। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत अवाप्त भूमि का किसानों को प्रति बीघा 27 लाख रुपए मुआवजा मिला है। उन्होंने कहा कि रीको के अधिकारी यहां जबरन जमीनों का सर्वे कर चारदीवारी करना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे करीब चार सौ किसान प्रभावित होंगे। लेकिन ऐसा नहीं होने देंगे। क्योंकि जमीन में गेहूं व सरसों की फसल खड़ी है। पक्के खाले बने हुए हैं। नहर निकलती है। सिंचित जमीन है। इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि एक ही बीघे में आधे बीघा का मुआवजा 27 लाख रुपए प्रति बीघा के हिसाब से भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत मिला है जबकि उसी जमीन के आधे बीघे का मुआवजा ढाई लाख रुपए देने की बात रीको के अधिकारी कह रहे हैं। यह कहां का न्याय है। या तो रीको किसानों को भारतमाला प्रोजेक्ट की तरह उचित मुआवजा दे। अन्यथा वे अपनी जमीनों को कौड़ियों के भाव नहीं बेचेंगे। इस मौके पर बहादुर सिंह, आत्मासिंह, महेन्द्र बिजारणिया, मांगीलाल मूंड, सुखचैन सिंह, सुरेन्द्र बिजारणिया, महेन्द्र कासनिया, हरमीत सिंह, धर्मंेद्र सिंह, सुखदेव सिंह, रामप्रताप सोनी, जसपाल सिंह, कुलदीप सिंह, सतु सहित कई किसान मौजूद थे।