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कविता सुनने के लिए संवेदनशील होना जरूरी:लेखक से मिलिए में बोले दोहाकार विजेंद्र शर्मा, कहा आलोचना बुजुर्ग का आशीर्वाद

श्रीगंगानगर. प्रसिद्ध दोहाकार और कोलकाता में बीएसएफ कमांडेंट विजेंद्र शर्मा ने कहा है कि कविता सुनने के लिए संवदेनशील होना जरूरी है। वे रविवार को सृजन सेवा संस्थान के लेखक से मिलिए कार्यक्रम के तहत शहर के महाराजा अग्रेसन विद्या मंदिर स्कूल में हुए आयोजन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कविता लिखना ही नहीं सुनने के लिए भी व्यक्ति में संवेंदनशीलता होना जरूरी है। इसके बिना काव्य प्रतिभा संभव नहीं है।

लेखक से मिलिए कार्यक्रम में संबोधित करते विजेंद्र शर्मा।

लेखक से मिलिए कार्यक्रम में संबोधित करते विजेंद्र शर्मा।

लिखने के लिए पढ़ना जरूरी
उन्होंने कहा कि लेखन के लिए पढ़ना बेहद जरूरी है। वर्तमान पीढ़ी की यही समस्या है कि वे पढ़े बगैर लेखन में आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में लोग सीधे मिर्जा गालिब के लेखन तक पहुंचना चाहते हैं जबकि उन्हें शुरुआत में अन्य शायरों को पढ़कर लेखन की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे स्वयं एक आलोचक हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी काव्य की आलोचना सड़क किनारे खड़े मनचलों की फब्ती नहीं है। यह तो एक बुजुर्ग के आर्शीवाद की तरह है जो लेखक को उसकी कमियों के बारे में बताते हैं।

कार्यक्रम में मौजूद लोग।

कार्यक्रम में मौजूद लोग।

स्वर और शब्द एक दूसरे के पूरक

विशिष्ट अतिथि संगीत व्याख्याता अंजू बोरड़ ने कहा कि स्वर और शब्द एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि गजल को शब्दों में सुनाया जाए तो यह अच्छी लगती है लेकिन स्वर के साथ इसका आनंद दोगुना हो जाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार योगराज भाटिया ने कहा कि सृजन सेवा संस्थान का यह प्रयास बेहद सराहनीय है। लेखक से मिलिए जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से शहर के लोगों को ख्यातनाम लेखकों से मिलने का मौका मिलता है।