जयपुर: राजस्थान के चौक चौराहों पर पिछले कुछ दिनों से जयपुर बम धमाके के 4 आरोपियों की फांसी की सजा हाई कोर्ट में रद्द होने की खबर पर खूब चर्चाएं हो रही हैं। लोग यह जानना चाह रह हैं कि किसके प्रयास से बम ब्लास्ट जैसे मामले के आरोपियों की फांसी की सजा टली है। लोगों के जेहन में यह भी सवाल है कि आखिर इन आरापियों के केस की पैरवी किसने की। केस की पैरवी में होने वाला खर्च किसने उठाया। बम धमाके का दंश झेल चुके राजस्थान और जयपुर के लोगों के जेहन में ऐसे कई सवाल तैर रहे हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम ने इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए केस से जुड़े लोगों से बातचीत की, जिसमें कई हैरान करने वाली बातें सामने आईं।
भारत के वकीलों ने ही की पैरवी
हैरान करने वाली बात यह है कि जयपुर बम धमाके के आरोपियों की केस की पैरवी देश के ही कुछ वकीलों ने की। गौर करने वाली बात यह है कि पैरवी करने वाले सभी वकील बेहद यंक हैं। बताया जा रहा है कि इस केस में 18 वकीलों की टीम ने आरोपियों की तरफ से पैरवी की थी। बम ब्लास्ट के आरोपियों के लिए वकीलों की फौज खड़ी करने पीछे एनएलयू(नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी) दिल्ली के वकीलों का ग्रुप ‘प्रोजेक्ट-39ए’ का सहयोग बताया जा रहा है। यहां बता दें कि ‘प्रोजेक्ट-39ए’ वकीलों का ऐसा समूह है जो संगीन अपराध से जुड़े मुकदमों में ही पैरवी करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक देशभर के जिस भी केस में फांसी की सजा मुकर्रर होती है, उस केस की हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दोबारा पैरवी करने में ‘प्रोजेक्ट-39ए’ ही होती है। माना जाता है कि यह टीम फांसी के 80 फीसदी से ज्यादा मामलों में आरोपियों की तरफ से वकील मुहैया कराती है।