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आबादी में चीन से आगे निकला भारत, क्या अर्थव्यवस्था में भी दे पाएगा मात?

नई दिल्ली. भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि चीन को पछाड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार चीन की 142.57 करोड़ आबादी की तुलना में भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ह्यडैशबोर्डह्ण (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में जनसंख्या डेटा इकट्ठा करना शुरू किया था। उसके बाद से यह पहली बार है कि भारत ने सबसे अधिक आबादी वाले देशों की संयुक्त राष्ट्र सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 1950 के बाद से भारत की जनसंख्या में एक अरब से अधिक लोगों की वृद्धि हुई है।
क्या चीन की अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ पाएगा?
भारत चीन की आबादी से तो आगे निकल गया लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या चीन की अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ पाएगा? दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अधिक जनसंख्या के अपने कई फायदे हैं। भारत की अधिकांश आबादी युवा है। जबकि चीन सहित अधिकांश औद्योगिक देशों में उम्र बढ़ रही है और कुछ मामलों में यह सिकुड़ भी रही है। भारत के पास अपनी आबादी का सही से इस्तेमाल करने का मौका है। अधिक आबादी को अधिक जॉब चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए अधिक नौकरियां देनी होंगी।
कहां पर आ रही दिक्कत?
भारत का बुनियादी ढांचा पहले की तुलना में बेहद तेज स्पीड से बेहतर हुआ है। लेकिन यह चीन से बहुत पीछे है, जो विदेशी निवेश में बाधक है। एक और बड़ी समस्या यह है कि पाँच में से केवल एक भारतीय महिला औपचारिक वर्कफोर्स का हिस्सा है। देश की करोड़ों युवा महिलाओं की आकांक्षाओं को दबाने के अलावा उन्हें औपचारिक नौकरियों से बाहर रखना अर्थव्यवस्था पर भयानक ब्रेक का काम करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था अपनी जनसंख्या के लिहाज से बहुत तेजी से बढ़ रही है, और अत्यधिक गरीबी में रहने वाले भारतीयों का अनुपात भी गिर गया है। फिर भी अधिकांश भारतीय वैश्विक मानकों के अनुसार गरीब हैं। आय के हिसाब से शीर्ष 10 प्रतिशत में प्रवेश करने के लिए, एक भारतीय को प्रति माह 24660 रुपये कमाने की आवश्यकता है। अकाल अतीत की बात है, लेकिन दुनिया के सभी बच्चों में से एक तिहाई से अधिक कुपोषित भारत में हैं।
भारत फिलहाल पांचवे नंबर पर
चीन की अर्थव्यवस्था का स्थान दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है,जो कि 2022 में 3 प्रतिशत गति के साथ बढ़ी। वर्ल्ड बैंक के अनुसार 2021 में भारत की जीडीपी 3.1 ट्रिलियन डॉलर थी और चीन की 17.7 ट्रिलियन डॉलर की थी। अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अमेरिका है। जबकि दूसरे नंबर पर चीन फिर जापान और जर्मनी का नंबर है। भारत फिलहाल पांचवे नंबर पर है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन जितना अमीर बनने के लिए, भारत को या तो अपने विकास मॉडल को मौलिक रूप से बदलने की जरूरत है या या एक ऐसा रास्ता इख्तियार करना है जिसे पहले किसी अन्य देश ने नहीं आजमाया हो। जहां भारत को सफलता मिली है वह सर्विस सेक्टर है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियां विश्व में अग्रणी बन गई हैं, जबकि गोल्डमैन सैक्स जैसी बहुत सी बहुराष्ट्रीय फर्मों के वैश्विक कर्मचारी दुनिया में कहीं और की तुलना में भारत से अधिक काम कर रहे हैं।
बूढ़ा हो रहा चीन
ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब 1960 के बाद पहली बार चीन में लोगों की संख्या पिछले साल कम हुई। 1960 में पूर्व नेता माओत्से तुंग की विनाशकारी कृषि नीतियों के तहत लाखों लोग भूखे मर गए थे। जन्म दर घटने और कामकाजी लोगों की उम्र बढ़ने के कारण चीन को जनसांख्यिकीय गिरावट का भी सामना करना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों ने जन्म दर को बढ़ावा देने की योजनाओं की भी घोषणा की है। चीन ने 2016 में अपनी सख्त “वन-चाइल्ड पॉलिसी” को समाप्त कर दिया था। इसे 1980 के दशक में अत्यधिक जनसंख्या के डर के बीच लागू किया गया था।