जालंधर (वार्ता). पंजाब के बठिंडा स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य के महत्व को समझने और स्वास्थ्य की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए शनिवार को सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) का आयोजन किया गया।
फरीदकोट स्थित बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आॅफ हेल्थ साइंसेज, स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ के जाने-माने एपिडेमियोलॉजिस्ट एवं विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. नरेश पुरोहित ने इस कार्यक्रम में मुख्य भाषण देने के बाद यूनीवार्ता को बताया कि आधुनिक चिकित्सा अच्छे स्वास्थ्य के लिए तैयार नहीं है, यह बीमारी पर पनपती है। उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग को सालाना 25 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से विकास करना है। यह तब तक हासिल नहीं किया जा सकता, जब तक कि हर साल बीमारी में 40 प्रतिशत की वृद्धि न हो।
फेडरेशन आॅफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर के कार्यकारी सदस्य डॉ. पुरोहित ने कहा कि जहां यह सच है कि रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं, वहीं यह भी सच है कि बेहतर स्वास्थ्य भी इंसान के जीवन के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद आम आदमी के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है। लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं, इसलिए सरकारें भी लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं और आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रही हैं।
राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के प्रधान अन्वेषक डॉ. पुरोहित ने मधुमेह और मोटापे के कारण बढ़ती रुग्णता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की शीघ्र जांच, पहचान, रोकथाम और प्रबंधन और उच्च नमक, चीनी और वसा वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करके स्वस्थ जीवन शैली का नेतृत्व करना भारत में एनसीडी मृत्यु दर को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, ह्णरोजमर्रा की कई आदतें हैं जो किसी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए स्वस्थ आदतों को अपनाना महत्वपूर्ण है।ह्ण
सीएमई कार्यक्रम के विशेषज्ञों ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली और हमेशा व्यस्त रहने के कारण लोग गतिहीन जीवन शैली अपनाने लगे हैं। जो लोग काम में व्यस्त रहते हैं वे खुद को घंटों एक ही स्थिति में बैठे हुए पाते हैं। दूसरी ओर, जब लोगों के हाथ में समय होता है, तो वे इसे अपने मोबाइल फोन पर स्क्रॉल करने में खर्च कर देते हैं। निष्क्रियता कई बीमारियों का कारण है, जिनमें मोटापा, हृदय रोग, मानसिक रोग और बहुत कुछ शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने लोगों से भूख न होने पर स्नैकिंग से बचने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ह्लअगर कोई वापस शेप में आना चाहता है तो बिना सोचे-समझे खाना तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा, अधिक खाना भी सख्त वर्जित है क्योंकि इससे शरीर में मोटापा, एसिडिटी और सूजन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। किसी के व्यायाम की दिनचर्या को छोड़ना अच्छा विचार नहीं है। इससे मांसपेशियों में दर्द, तनाव और वजन बढ़ सकता है।