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अब बच्चों में भी ब्लैक फंगस:जयपुर के जेके लोन अस्पताल में आया पहला केस, 5 साल के मासूम को कोरोना होकर खत्म हो गया, पता ही नहीं चला; अब SMS में बच्चे का ऑपरेशन

जयपुर

राजस्थान अब छोटे बच्चे भी म्यूको माइकोसिस (ब्लैक फंगस) की चपेट में आ रहे हैं। मई में बीकानेर में डेढ़ साल के बच्चे में ब्लैक फंगस का मामला सामने आने के बाद अब जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में भी नया केस आया है। भरतपुर जिले का रहने वाला यह बच्चा 5 साल का है। इसे कब कोरोना हुआ यह इसके माता-पिता को भी नहीं पता। अब जेके लोन हॉस्पिटल के डॉक्टर बच्चे की सर्जरी के लिए उसे सवाई मानसिंह अस्पिटल (SMS) रैफर करने की तैयारी कर रहे हैं।

जेके लोन के अधीक्षक डॉक्टर अरविंद कुमार शुक्ला ने बताया कि जेके लोन अस्पताल में म्यूको माइकोसिस का यह पहला केस आया है। उन्होंने बताया कि इस बच्चे को कोरोना कब हुआ इसके बारे में उसके माता-पिता को कुछ पता नहीं है। डॉक्टर ने बताया कि बच्चा पहले से अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित है। इसे पिछले सप्ताह ही अस्पताल में एडमिट किया है। अब इस बच्चे के मुंह की सर्जरी होगी, क्योंकि म्यूको माइकोसिस के कारण उसके जबड़े में खराबी आ गई है, जिसके ऑपरेशन के लिए उसे ENT डॉक्टर्स के पास SMS हॉस्पिटल भेजा जाएगा।

2-3 महीने पहले हुआ था कोरोना, एंडीबॉडी में पता चला

जेके लोन अस्पताल में वार्ड नं. 7 में भर्ती बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर कैलाश मीणा ने बताया कि बच्चे को करीब 2-3 महीने पहले असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षण वाला) कोरोना हुआ है, जो होकर खत्म हो गया और परिजनों को पता नहीं चला। बच्चे की जब एंटीबॉडी टेस्ट करवाया गया तो उसमें इसकी पुष्टि हुई। डॉक्टर ने बताया कि म्यूको माइकोसिस होने का बड़ा कारण बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होना है, क्योंकि बच्चा पिछले एक साल से ज्यादा समय से अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित है। उसका इलाज भी कैंसर विशेषज्ञ के यहां चल रहा है। बच्चे में इस बीमारी के कारण खून बहुत कम बनता है।

अप्लास्टिक एनीमिया के ट्रीटमेंट के कारण कम हो गई इम्यूनिटी

डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की बीमारी का इलाज चल रहा है। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण ही बच्चा ब्लैक फंगस की चपेट में आ गया। अप्लास्टिक एनीमिया में बोनमैरो में खराबी होने से खून बनना बंद हो जाता है। ऐसे में इसके इलाज के लिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।

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